नेहरू जी ने विभिन्न समय और मौसम पर गंगा मनोहारी चित्रण किस
प्रकार किया है ?
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नेहरूजी ने विभिन्न समय और मौसम पर गंगा का मनोहारी चित्रण करते हुए लिखा है कि उन्होंने सुबह की रोशनी में गंगा को मुस्कराते, उछलते-कूदते देखा है और देखा है शाम के साये में उदास काली-सी चादर ओढ़े हुए, भेद-भरी सर्दी में सिमटी-सी आहिस्ते-आहिस्ते बहती गंगा अत्यन्त सुन्दर दिखाई पड़ती है।
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