निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल'। मतलब मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। ... बशीर अहमद खान ने कहा कि तमिल की तरह संताली भाषा की पूजा के लिए इसका सर्वागीण विकास जरूरी है।
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