न जाने, तपक तडित में कौन
मुझे इंगित करता तब मौन ।
देख वसुधा का यौवन भार
गूंज उठता है जब मधुमास,
विधुर उर के-से मृदु उद्गार
कुसुम जब खुल पड़ते सोच्छ्वास
न जाने, सौरभ के मिस कौन
सँदेशा मुझे भेजता मौन ।
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न जाने, तपक तडित में कौन
मुझे इंगित करता तब मौन ।
देख वसुधा का यौवन भार
गूंज उठता है जब मधुमास,
विधुर उर के-से मृदु उद्गार
कुसुम जब खुल पड़ते सोच्छ्वास
न जाने, सौरभ के मिस कौन
सँदेशा मुझे भेजता मौन ।
यह पंक्तियाँ मौन निमंत्रण कविता द्वारा लिखी गई है | यह कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है |
कविता में प्रकृति के विभिन्न उत्पादनों के बारे में बताया है | प्रकृति के कई दृश्यों को मोन निमन्त्रण के भाव को दर्शाया है | वसंत ऋतु में धरती अपनी यौवनावस्था में होती है | वह सौंदर्य-भार से युक्त होती है | उसकी सुंदरता को देखकर वसंत के भोरें अपनी गुनगुनाहट से अनुगूँज भर देते है | इस ऋतु में फूलों का खिलना ऐसे लगता है जैसे वियोगी के हृदय से कोमल के साथ निकल रहे हो |
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is ka answer kha hai do please
ok
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