निज राष्ट्रचेतना निज भाषा,
स्वाभिमान सभी का होता है।
अभिव्यक्त निज की भाषा में,
संज्ञान, सभी का होता है।.... का भावार्थ स्पष्टता किजीए
Answers
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिये।
यह पंक्तियां रामगोपाल राही द्वारा रचित कविता की पंक्तियां हैं।
इस कविता और इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने राष्ट्रभाषा और मातृभाषा का महत्व बताया है। कवि का इन पंक्तियों के माध्यम से कहने का तात्पर्य यह है कि जिस राष्ट्र में अपनी मूल भाषा के प्रति चेतना नहीं होती, वह राष्ट्र परिपूर्ण नहीं हो सकता।
अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करना उसका सम्मान करना और अपनी भाषा के प्रति स्वाभिमान जगाना किसी राष्ट्र की समृद्धि और श्रेष्ठ राष्ट्र की पहचान है। जब राष्ट्र की मूल भाषा में अपने विचारों की अभिव्यक्ति की जाती है तो उसकी पहुंच राष्ट्र के हर जनमानस तक पहुंच जाती है। इसलिए राष्ट्रभाषा का सम्मान करना और उसके माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति ही श्रेष्ठ है।