निजी स्वास्थ्य किसे कहते हैं
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निजी स्वास्थ्य सेवा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की तुलना में चार गुना अधिक महंगा है। निजी स्वास्थ्य सेवा भारत की 20 फीसदी सबसे ज्यादा गरीब आबादी पर उनके औसत मासिक खर्च पर 15 गुना ज्यादा बोझ डालता है। पिछले एक दशक के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डाक्टरों की कमी में 200 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बदतर होने के कारण लोग निजी स्वास्थ्य सेवा को लेने के लिए मजबूर है। निजी स्वास्थ्य सेवा लेने में सबसे ज्यादा परेशानी गरीब परिवारों को होती है। धन के अभाव में कई बार तो यह लोग पूरा इलाज़ नहीं करवा पाते है तो कुछ लोग घर ज़मीन तक बेचकर इलाज़ करवाने को मजबूर होते हैं।
इण्डिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आधी से ज्यादा ग्रामीण आबादी निजी स्वास्थ्य सेवा का उपयोग करती है। निजी स्वास्थ्य सेवा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की तुलना में चार गुना अधिक महंगा है। निजी स्वास्थ्य सेवा भारत की 20 फीसदी सबसे ज्यादा गरीब आबादी पर उनके औसत मासिक खर्च पर 15 गुना ज्यादा बोझ डालता है। पिछले एक दशक के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डाक्टरों की कमी में 200 फीसदी की वृद्धि हुई है। यहां तक कि मुंबई जैसे महानगरों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के स्टाफ को दोगुना करने की जरूरत है।