Hindi, asked by promiladevi575, 7 months ago

निजी टीवी चैनल पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए अथवा नहीं पक्ष प्रतिपक्षा में अपने विचार लिखिए​

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Answered by bhatiamona
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निजी टीवी चैनल पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए अथवा नहीं। पक्ष अथवा विपक्ष...

पक्ष...

निजी टीवी चैनलों पर मर्यादाहीन आचरण से बचने का एक मानदंड स्थापित होना चाहिए। पत्रकारिता का नाम शालीनता से पत्रकारिता करना होता है,  उल्टी-सीधी हरकतें करके सनसनीखेज खबरें बनाना पत्रकारिता नहीं है। पत्रकारिता का अर्थ है कि जो वास्तविक स्थिति है, उसे सामने जैसा है वैसा जनता के लाया जाये। पत्रकारिता में निष्पक्षता महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही असली और सार्थक मुद्दों को जनता के सामने पेश करना टीवी न्यूज चैनलों की मुख्य भूमिका होनी चाहिए। अन्य दूसरे मनोरंजन चैनल भी कुछ बेहद शोर-शराबे वाले ऐसे कार्यक्रम दिखाते है, जिसमें लोग आपस में लड़कर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। आजकल देखा जाता है कि न्यूज के टीवी चैनल डिबेट शो बहुत करते ,हैं जिसमें लोग चिल्लाते रहते हैं और अमर्यादित और अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग इन सब बातों से घर में जो बच्चे लोग टीवी देख रहे थे हैं, उनकी मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। टीवी चैनल मर्यादा में रहकर शांत और शालीन ढंग से खबरें पेश करें तथा असली मुद्दों को दिखाएं और सनसनीखेज खबरों से बचें। इसलिए सरकार को कुछ सार्थक प्रयास करने होंगे और कुछ हद तक हल्का सा सरकारी नियंत्रण टीवी चैनलों पर आवश्यक है ताकि वह मर्यादा शील व्यवहार कर सकें।

विपक्ष...

प्रेस और मीडिया टीवी चैनल यह सब सरकार या सत्ता की गलतियों का आईना दिखाने का साधन होते हैं। इन के माध्यम से सरकार में हो रही किसी भी गलत प्रवृत्ति को जनता के सामने लाया जाता है, ताकि जनता सरकार की गलतियों वाकिफ हो सके।  किसी भी लोकतंत्र के लिए मीडिया की स्वतंत्रता आवश्यक है, जिस पर सरकारी नियंत्रण स्थापित हो जाएगा तो सरकार अपने पक्ष में ही मीडिया पर खबरें प्रसारित करवाएगी। जनता वास्तविकता से वाकिफ नहीं हो पाएगी। इसलिए मीडिया पर सरकारी नियंत्रण होना मीडिया की निष्पक्षता पर संदेह बढ़ायेगा।

Answered by sanvibolt
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Answer:

निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए क्योंकि निजी चैनल किसी-न-किसी कारोबारी हित से जुड़े होते हैं। वे एक पक्षीय खबरें देते हैं। वे जनहित की उपेक्षा करके खास वर्ग को तवज्जो देते हैं। विदेशी पूँजीपतियों के चैनल अपसंस्कृति फैलाते हैं। अतः इन पर सरकारी नियंत्रण अवश्य होना चाहिए। विपक्ष में-निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण नहीं होना चाहिए। सरकार हमेशा अपना गुणगान करती है। वह आम आदमी की समस्याओं को नहीं सुनती। अधिकारी भ्रष्टाचार के कारण स्तरहीन कार्यक्रमों को प्रसारित करते हैं। उनमें नवीनता नहीं होती। जनता को वास्तविकता का पता नहीं लगने दिया जाता है। निजी चैनल प्रतिस्पर्धा के कारण नई-नई चीजें लेकर आते हैं। वे सरकारी कुनीतियों को जनता व सरकार के सामने लाते हैं

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