CBSE BOARD X, asked by rinku12343, 6 months ago

निजबुद्ध्या विमुक्ता सा भयाद् व्याघ्रस्य भामिनी।
अन्योऽपि बुद्धिमाँल्लोके मुच्यते महतो भयात्॥
इस श्लोक का अनव्य बताओ​

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Answered by laxmisuroshi2
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Answer:

भामिनी व्याघ्रस्य भयात् निजबुद्ध्या विमुक्ता सा, लोके अन्यः बुद्धिमान् अपि महतः भयात् मुच्यते।

इस श्लोक का अनुवाद है कि भामिनी व्याघ्र के भय से अपनी बुद्धि से मुक्त हो गई, जबकि दूसरे लोग महान भय से मुक्त होते हैं।

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