नीके रहियो जसुमति मैया ।
आवेंगे दिन चारि पाँच में हम हलधर दोऊ भैया ।।
जा दिन तें हम तुमतें बिछुरे काहु न कयौ कन्हैया ।
कबहूँ प्रात न कियो कलेवा, साँझ न पीन्हीं धैया ।।
बंसी बेन सँभारि राखियो और अबेर सबेरो ।
मति लै जाय चुराय राधिका कछुक खिलौने मेरो ।।
कहियो जाय नंद बाबा सों निपट निठुर जिय कीन्हो
सूर स्याम पहुँचाय मधुपुरी बहुरि संदेस न लीन्हो ।
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