निक्षेप कया है इसके अधिकार एवं दायित्व कया है
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निक्षेप का अर्थ है- प्रस्तुत अर्थ का बोध देने वाली शब्द संरचना ।
प्रकारांतर में निक्षेप को इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है- 'प्रस्तुतार्थबोधाय अर्हदादिशब्दानां निधानं निक्षेप:' ।
प्रासंगिक अर्थ का बोध कराने के लिए अर्हत् आदि शब्दों का नाम,स्थापना,आदि भेदों के द्वारा न्यास करना निक्षेप कहलाता है । यहाँ अर्हत् शब्द लेकर हम पाठ के अंत में ४ निक्षेप घटाएगें।
इसके द्वारा अर्थ का प्रयोग में आरोपण कर इच्छित अर्थ का बोध किया जाता है।
निक्षेप का कार्य है भाव और भाषा में सम्बन्ध बैठाना। ऐसा हुए बिना ना तो अर्थ का बोध हो सकता है और ना ही अप्रासंगिक अर्थों का परिहार किया जा सकता है । संक्षेप में यह माना जा सकता है की किसी भी अर्थ के सूचक शब्द के पीछे उसके अर्थ की स्थिति को स्पष्ट करने वाले विशेषण का प्रयोग निक्षेप है। उसके द्वारा व्यक्ति या वस्तु के बारे में दिमाग में स्पष्ट रेखा चित्र बन जाता है और उसे उस व्यक्ति या वस्तु की पहचान करने या कराने में सुविधा हो जाती है । सामान्यत: हर शब्द अनेकार्थ होता है। उसके कुछ अर्थ प्रासंगिक होते हैं और कुछ अप्रासंगिक । प्रासंगिक अर्थ का ग्रहण और अप्रासंगिक अर्थों का परिहार करने के लिए व्यक्ति सब अर्थों को अपने दिमाग में स्थापित करता है। ऐसा किये बिना कोई भी शब्द अपने प्रयोजन को पूरा नहीं कर सकता । जिस शब्द के जितने अर्थो का ज्ञान होता है, उतने ही निक्षेप हो सकते हैं। पर संक्षेप में उनका वर्गीकरण किये जाये तो निक्षेप के चार प्रकार हैं -
१/.नाम
२/. स्थापना
३/. द्रव्य
४/. भाव