निकल रहा हैं जलनिधि-तल पर दिनकर-बिब अधूरा। कमला के कचन-मदिर का मानों कात कैंगूरा। लाने को निज पुण्य-भूमि पर लक्ष्मी की असवारी। रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण-सड़क अति प्यारी। निर्भय, दृढ़, गभीर भाव से गरज रहा सागर है। लहरों पर लहरों का आना सुदर, अति सुदर हैं। कहो यहाँ से बढ़कर सुख क्या पा सकता है प्राणी? अनुभव करो हृदय से, ह अनुराग-भरी कल्याणी।
प्रश्न
अनुराग भरी कल्याणी से
कवि का क्या तात्पर्य है ?
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Explanation:
अनुराग भरी कल्याणी से कवि का तात्पर्य है की की हमे अपने आसपास की सुंदरता को देखना चहिये जैसे पेड नदियाँ
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