नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है । यह कथब किसने किससे कहा
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➲ ‘नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह पीर का मजार है।’ यह कथन मुंशी वंशीधर के पिता ने मुंशी वंशीधर से तब कहे थे जब वंशीधर नौकरी ढूंढने की कोशिश कर रहा था।
व्याख्या ⦂
✎... जब बंशीधर नौकरी ढूंढने की कोशिश में लगा था, तो मुंशी बंशीधर के पिता जो एक अनुभवी पुरुष थे, वह अपने बेटे को समझाते हुए कहने लगे कि नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना। यह पीर का मजार है। निगाह चादर पर रखनी चाहिए और ऐसा काम ढूंढना चाहिए जहां पर कुछ ऊपरी आय हो। महीने का वेतन पूर्णमासी के चाँद के समान होता है जो केवल महीने में एक बार दिखता है, जबकि ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है।
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