नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा
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I don't understand your question!!!
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नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा। मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ। मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला। तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
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