'नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी' फिर भी मन नहीं भरा।' – चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?
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चमेली ने दया करके गूँगे को अपने पास रख लिया था। वह उसके छोटे-मोटे काम करता था। गूँगे का स्वभाव था कि वह कुछ समय के लिए चला जाता और फिर वापस आ जाता था। एक दिन जब गूँगा पुनः बिना बताए भाग गया, तब वह यह कथन कहती है। उसे लगता है कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। चमेली के इस कथन से पता चलता है कि वह गूँगे जैसे लोगों के प्रति क्या सोच रखती है। वह उसे कीड़े के समान समझती है। उसे लगता है कि गूँगे को अपने पास रखकर उसने अहसान किया है। अतः वह जो चाहेगी गूँगे को कह सकती है और उसके साथ कर सकती है।
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