नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुंदर हैं, सूर्य चंद्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर हैं। नदियां प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडल हैं, बंदीजन खग-वृंद शेष-फन सिंहासन हैं। करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की, हे मातृभूमि, तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की। इसमें हरित पट किसे कहा गया है ?
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नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुंदर हैं, सूर्य चंद्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर हैं। नदियां प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडल हैं, बंदीजन खग-वृंद शेष-फन सिंहासन हैं। करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की, हे मातृभूमि, तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की।
इसमें हरित पट किसे कहा गया है ?
उत्तर : इन पंक्तियों में हरित पट्ट मातृभूमि को कहा गया है। जिसमें चारो तरफ फैली हरियाली है।
‘मैथिलीशरण गुप्त’ द्वारा रचित ‘मातृभूमि’ नामक कविता में कवि भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि चारों तरफ फैली हरियाली और उसके ऊपर नीला आकाश ऐसा लग रहा है कि मातृभूमि रूपी हरे शरीर पर किसी ने नीला वस्त्र धारण कर रखा हो। सूर्य और चंद्रमा उसके मुकुट हैं। सागर उसकी करधनी है।
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