नील परिधान बीच सुकुमार खुल रहा मृदुल पदकुला अनखीला हो जो बिजली का फूल मेघवन बीच गुलाबी रंगइसमें कौन सा अलंकार है
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उत्प्रेक्षा अलंकारनील परिधान बीच सुकुमारखुल रहा मृदुल अधखुला अंग
''नील परिधान बीच सुकुमार
खुल रहा मृदुल अधखुला अंग''
उत्तर :- उत्प्रेक्षा अलंकार
प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश छायावाद के प्रतिनिधि कवि जयशंकर प्रसाद रचित महाकाव्य 'कामायनी' से उद्धृत है। कामायनी के 'श्रद्धा' सर्ग में कविवर प्रसाद ने नायिका श्रद्धा का अनुपम सौंदर्य का वर्णन किया है।
व्याख्या: श्रद्धा ने अपने शरीर पर नीले रंग का वस्त्र धारण किया है। नीले वस्त्र में अधखुला सुकुमार व कोमल अंग (उरोज) दिख रहा है। नील वस्त्रों में से झलकती-दमकती हुई मादक अंगों की आभा देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मनो, बादलों के मध्य से गुलाबी रंग की आभा वाली बिजली का फूल खिल गया हो। काले बालों की पृष्ठभूमि में दमकते हुए गोरे रंग वाले मुखमण्डल पर सुंदरता उद्दीपत हो रही हो। देखकर ऐसा लगता है, पश्चिम के आकाश में घिरे हुए बादलों को भेदता हुआ लाल सूर्यमण्डल दिखाई देता हुआ अत्यंत मनमोहक लग रहा है। भाव यह है कि काले बाल बादलों जैसे और दमकता हुआ चेहरा सूरज की भांति दिख रहा है।