Hindi, asked by rajataabh123, 9 days ago

नीलकंठ पक्षी पर निबंध​

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Answered by payalchahar293
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Answer:

नीलकंठ पक्षियों की रोलर प्रजाति से संबंध रखता है लेकिन अन्य रोलर पक्षियों से रंग में भिन्न होता है।

2. नीलकंठ पक्षी (Neelkanth Bird In Hindi) दक्षिणी एशिया में पाया जाता है। भारत, इंडोनेशिया, इराक इत्यादि देशों में मिलता है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह प्रमुखता से मिल जाता है। नीलकंठ पर्वतीय क्षेत्रों में भी निवास करता है। ये प्रवासी पक्षी नही है लेकिन मौसम के मुताबिक जगह बदल लेते है।

3. नीलकंठ पक्षी के सर और पंख का रंग नीला होता है। इस पक्षी का गला हल्के भूरे रंग का होता है।

4. नीलकंठ (Neelkanth Pakshi) की आवाज कौवे जैसी कठोर और कर्कश होती है। इस पक्षी की चोंच काले रंग की होती है।

5. यह पक्षी करीब 27 Cm लम्बा होता है। इसका आकार एक मैना के लगभग बराबर होता है। नीलकंठ का वजन मात्र 80 से 100 ग्राम होता है। नर और मादा नीलकंठ पक्षी दिखने में लगभग एक जैसे ही होते है।

6. इस पक्षी को इंडियन रोलर (Indian Roller) कहते है क्योंकि नीलकंठ उड़ते वक्त एरोबिक्स मूव्स करता है। यह उड़ते वक्त 360 डिग्री भी घूम सकता है। नीलकंठ पक्षी हवा में कई आकर्षक करतब करता हुआ दिख जाता है।

7. नीलकंठ पक्षी का प्रजनन समय भारत में मई से जून के बीच होता है। यह गर्मियों का मौसम है जिसमें नर और मादा नीलकंठ पक्षी मिलन करते है।

Answered by jhaashok7474
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Answer:

नीलकंठ (अंग्रेजी:Indian roller, वैज्ञानिक नाम : कोरेशियस बेन्गालेन्सिस) रोलर वर्ग का पक्षी है। यह मुख्यतः उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाया जाता है जिसमें पश्चिमी एशिया से भारतीय उपमहाद्वीप तक शामिल हैं। इसे आईयूसीएन लाल सूची में अल्पतम चिन्ता की स्थिति में सूचीबद्ध किया गया है।[1]

यह पक्षी मुख्य रूप से प्रजनन के मौसम में नर की हवाई कलाबाजी के लिए जाना जाता है। यह अक्सर सड़क के किनारे पेड़ों और तारों में बैठे हुए देखे जाते है और आमतौर पर खुले घास के मैदान और झाड़ियों के जंगलों में देखे जाते है। इन पक्षियों की सबसे बड़ी आबादी भारत में पायी जाती है और भारत के कई राज्यों ने इसे राज्य पक्षी के रूप में चुना है।विवरण

नीलकंठ 26-27 सेंटीमीटर लम्बा एक गठीला पक्षी है और इसी के प्रवासी यूरोपीय रोलर पक्षी से अपनी बनावट में यह समान दिखाई देता है। यूरोपियन रोलर का अग्रणी भाग नीला होता है, उसके विपरीत भारतीय रोलर (नीलकंठ) भूरा होता है। इसके सिर का ऊपरी हिस्सा (ताज) और पिछला हिसा (वेंट) नीला होता हैं। पंख सुरमई रंग की एक पट्टी के साथ गहरे बैंगनी-नीले रंग के होते हैं। पूंछ का रंग प्रशियाई नीला होता है जिसमें आकाशीय नीले रंग की पट्टी होती है और इसका मध्य भाग हल्का हरा होता है। गर्दन और गले सफेद धारियों के साथ बैगनी रंग के हैं। आँख के चारों ओर गेरुआ रंग के धब्बे होते हैं। पैरों की तीन आगे की उंगलियां तले में एकीकृत होती हैं। नीलकंठ के चोंच का उपरी भाग घुमावदार होता है जिसका अग्रभाग हुकनुमा होता है तथा पूरी चोंच लम्बी एवं संकुचित होती है। इसके नथुने लंबे और अनावृत होते हैं तथा चोंच के आधार पर लंबे, खड़े एवं कड़े बाल होते हैं।[2][3][4]

आमतौर पर इसकी तीन उप-प्रजातियां अभिज्ञात हैं। इसकी नामांकित प्रजाति पश्चिमी एशिया (इराक, अरब) से पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप में और भारत के भीतर उत्तर में विंध्य पर्वत श्रृंखला में पाया जाता है। उप-प्रजाति इंडिकस प्रायद्वीपीय भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। दक्षिण में पाये जाने वाले प्रजाती में गर्दन गहरा लाल रंग का होता है जो नामांकित प्रजाती में अनुपस्थित है।

वितरण और आवास

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश, भारत

नीलकंठ एशिया में, इराक और संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण-पश्चिमी एशिया में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैले हुए है, जिसमें श्रीलंका, लक्षद्वीप और मालदीव द्वीप शामिल हैं।[4] इसके मुख्य आवास में कृषि क्षेत्र, कम घने जंगल और घास के मैदान शामिल हैं।[2]

पारिस्थितिकी और व्यवहार

नीलकंठ को अक्सर प्रमुख पेड़ों या तारों पर देखा जाता है। वे अपने शिकार को पकड़ने के लिए जमीन पर उतरते हैं जिसमें कीड़े, मकड़ी, बिच्छू, छोटे सांप और उभयचर शामिल हो सकते हैं।[5][6][7] आग उन्हें आकर्षित करती है।[2] दक्षिणी भारत में कृषि आवासों में, वे लगभग 50 पक्षी प्रति वर्ग किमी के घनत्व पर पाए गए हैं। वे मुख्य रूप से 3-10 मीटर ऊंचे बसेरो पर बैठते हैं और ज्यादातर जमीन के कीड़ों को खाते हैं। उनके शिकार का लगभग 50% भृंग और 25% टिड्डे और झींगुर होते हैं।[

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