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नाम कश्यप का कारक और विभक्ति बताइए ​

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Answered by vadhwanijagdish79
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कारक : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

July 31, 2018 18:30विकास सिंह21 Comments5 Min Read

कारक के उदाहरण, कारक के भेद

विषय-सूचि [दिखाएं]

कारक की परिभाषा

कारक का अर्थ होता है किसी कार्य को करने वाला। यानी जो भी क्रिया को करने में भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है।

कारक के उदाहरण :

वह रोज़ सुबह गंगा किनारे जाता है।

वह पहाड़ों के बीच में है।

नरेश खाना खाता है।

सूरज किताब पढता है।

कारक के भेद :

कारक के मुख्यतः आठ भेद होते हैं :

कर्ता कारक

कर्म कारक

करण कारक

सम्प्रदान कारक

अपादान कारक

संबंध कारक

अधिकरण कारक

संबोधन कारक

1. कर्ता कारक :

जो वाक्य में कार्य को करता है, वह कर्ता कहलाता है। कर्ता वाक्य का वह रूप होता अहि जिसमे कार्य को करने वाले का पता चलता है।

कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ‘ने’ होता है।

उदाहरण :

रामू ने अपने बच्चों को पीटा।

समीर जयपुर जा रहा है।

नरेश खाना खाता है।

विकास ने एक सुन्दर पत्र लिखा।

(कर्ता कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – कर्ता कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

2. कर्म कारक :

वह वस्तु या व्यक्ति जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़ता है वह कर्म कहलाता है।

कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ होता है।

उदाहरण :

कश्यप ने राधा को बुलाया

कश्यप ने घोड़े को पानी पिलाया।

माँ ने बच्चे को खाना खिलाया।

मेरे दोस्त ने कुत्तों को भगाया।

(कर्म कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – कर्म कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

3. करण कारक :

वह साधन जिससे क्रिया होती है, वह करण कहलाता है। यानि, जिसकी सहायता से किसी काम को अंजाम दिया जाता वह करण कारक कहलाता है।

करण कारक के दो विभक्ति चिन्ह होते है : से और के द्वारा।

उदाहरण :

बच्चे गाड़ियों से खेल रहे हैं।

पत्र को कलम से लिखा गया है।

राम ने रावण को बाण से मारा।

अमित सारी जानकारी पुस्तकों से लेता है।

(करण कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – करण कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

4. सम्प्रदान कारक :

सम्प्रदान का अर्थ ‘देना’ होता है। जब वाक्य में किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए तो वहां पर सम्प्रदान कारक होता है।

सम्प्रदान कारक के विभक्ति चिन्ह के लिए या को हैं।

उदाहरण :

माँ अपने बच्चे के लिए दूध लेकर आई।

कश्यप ने तुषार को गाडी दी।

मैं हिमालय को जा रहा हूँ।

कश्यप मेरे लिए कोई उपहार लाया है।

(सम्प्रदान कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – सम्प्रदान कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

5. अपादान कारक :

जब संज्ञा या सर्वनाम के किसी रूप से किन्हीं दो वस्तुओं के अलग होने का बोध होता है, तब वहां अपादान कारक होता है।

अपादान कारक का भी विभक्ति चिन्ह से होता है। से चिन्ह करण कारक का भी होता है लेकिन वहां इसका मतलब साधन से होता है।

यहाँ से का मतलब किसी चीज़ से अलग होना दिखाने के लिए प्रयुक्त होता है।

उदाहरण :

सुरेश छत से गिर गया।

सांप बिल से बाहर निकला।

पृथ्वी सूर्य से बहुत दूर है।

आसमान से बिजली गिरती है।

(अपादान कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – अपादान कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

6. संबंध कारक :

जैसा की हमें कारक के नाम से ही पता चल रहा है कि यह किन्हीं वस्तुओं में संबंध बताता है। संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो हमें किन्हीं दो वस्तुओं के बीच संबंध का बोध कराता है, वह संबंध कारक कहलाता है।

सम्बन्ध कारक के विभक्ति चिन्ह का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री आदि हैं।

उदाहरण :

वह राम का बेटा है।

यह सुरेश की बहन है।

बच्चे का सिर दुःख रहा है।

यह कश्यप की किताब है।

यह नरेश का भाई है।

(संबंध कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – संबंध कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

7. अधिकरण कारक :

अधिकरण का अर्थ होता है – आश्रय। संज्ञा का वह रूप जिससे क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं।

इसकी विभक्ति में और पर होती है। भीतर, अंदर, ऊपर, बीच आदि शब्दों का प्रयोग इस कारक में किया जाता है।

उदाहरण :

वह रोज़ सुबह गंगा किनारे जाता है।

वह पहाड़ों के बीच में है।

मनु कमरे के अंदर है।

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था।

फ्रिज में आम रखा हुआ है।

(अधिकरण कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – अधिकरण कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

8. संबोधन कारक :

संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे किसी को बुलाने, पुकारने या बोलने का बोध होता है, तो वह सम्बोधन कारक कहलाता है।

सम्बोधन कारक की पहचान करने के लिए ! यह चिन्ह लगाया जाता है।

सम्बोधन कारक के अरे, हे, अजी आदि विभक्ति चिन्ह होते हैं।

उदाहरण :

हे राम! बहुत बुरा हुआ।

अरे भाई ! तुम तो बहुत दिनों में आये।

अरे बच्चों! शोर मत करो।

हे ईश्वर! इन सभी नादानों की रक्षा करना।

अरे! यह इतना बड़ा हो गया।

(संबोधन कारक के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – संबोधन कारक – उदाहरण, परिभाषा, चिन्ह)

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