(२) निम्न अर्थ को स्पष्ट करने वाली पंक्तियाँ लिखिए
संतों की सहनशीलता -------
कपूत के कारण कुल की हानि -------
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hey friend I am in CBSE board not Bihar board I am new so please add brain list
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(२) निम्न अर्थ को स्पष्ट करने वाली पंक्तियाँ लिखिए (दूसरी इकाई ----१ बरषहिं जलद --गोस्वामी तुलसीदास )
संतों की सहनशीलता ------- ये पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के किष्किन्धाकाण्ड से पाठ्यपुस्तक की रचना "बरषहिं जलद " के अंतर्गत सम्मिलित की गई है | इसमें वर्षा ऋतु का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत किया गया है | साथ ही समाज में व्याप्त गुणों एवं दुर्गुणों का अनूठा तथा आकर्षक प्रस्तुतिकरण किया गया है | वर्णन दोहा व चौपाई छंदों में आबद्ध हैं | संतों की सहनशीलता ---" ,बूंद अघात सहहिं गिरि कैसे | खल के बचन संत सह जैसे ||" इस चौपाई में कही गई है |
कपूत के कारण कुल की हानि ---- की बात "कबहुँ प्रबल बह मारुत, जंह-तंह मेघ बिलाहिं |
जिमि कपूत के उपजे, कुल सद्धर्म नसाहिं ||" इस दोहे में कही गई है |
संतों की सहनशीलता ------- ये पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के किष्किन्धाकाण्ड से पाठ्यपुस्तक की रचना "बरषहिं जलद " के अंतर्गत सम्मिलित की गई है | इसमें वर्षा ऋतु का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत किया गया है | साथ ही समाज में व्याप्त गुणों एवं दुर्गुणों का अनूठा तथा आकर्षक प्रस्तुतिकरण किया गया है | वर्णन दोहा व चौपाई छंदों में आबद्ध हैं | संतों की सहनशीलता ---" ,बूंद अघात सहहिं गिरि कैसे | खल के बचन संत सह जैसे ||" इस चौपाई में कही गई है |
कपूत के कारण कुल की हानि ---- की बात "कबहुँ प्रबल बह मारुत, जंह-तंह मेघ बिलाहिं |
जिमि कपूत के उपजे, कुल सद्धर्म नसाहिं ||" इस दोहे में कही गई है |
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