नेम्न की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए: 8. यौवन तेरी चंचल छाया। क्षण भर बैठ चूंट भर पी लूँ जो रस तू है लाया मेरे प्याले में मद बनकर कब तू छली समाया। जीवन-वंशी के छिद्रों के स्वर बनकर लहराया। अब हृदय से रक्त की धारा बहेगी तो मैं कैसे रोक स चढ़ा दो। आज मैंने भी दीपदान किया है ! दीपदान A
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