निम्नांकित में कौन-सा एक समुच्चय सामान्य अनुकूलन संलक्षण उत्पन्न करने में तीन अवस्थाओं 7
का सही अनुक्रम है ?
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कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव (Actor-observer effect) : स्वयं अपने अनुभव या व्यवहार के लिए (कर्ता) और दूसरे व्यक्ति (प्रेक्षक) के उसी अनुभव या व्यवहार के लिए अलग-अलग गुणारोपण करने की प्रवृत्ति।
अनुकूलन (Adaptation) : संरचनात्मक या प्रकार्यात्मक परिवर्तन जो किसी जीव के उत्तरजीविता मूल्य में वृद्धि करता है।
आक्रमण (Aggression) : शशरीरिक या शाब्दिक तौर पर किसी को चोट पहुँचाने के आशय से किया गया व्यवहार।
वायु प्रदूषण (Air pollution) : वायु की गुणवत्ता का निम्नीकरण।
सचेत प्रतिक्रिया (Alarm reaction) : सामान्य अनुकूलन संलक्षण की पहली अवस्था जिसमें अधिवृक्कीय और अनुकंपी क्रिया के जरिए उर्जा के सक्रियण द्वारा आपाती प्रतिक्रिया होती है।
विसंबंधन (Alienation) : किसी समाज या समूह का अंग न होने की भावना।
गुदीय अवस्था (Anal stage) : फ्रायड द्वारा वर्णित मनोलैंगिक अवस्थाओं में दूसरी, जो शिशु के दूसरे वर्ष में घटित होती है। इसमें सुख की प्रतीति गुदा पर और मल के बतिधारण और निष्कासन पर केंद्रित रहती है।
क्षुधा-अभाव (Anorexia nervosa) : ऐसा विकार जिसमें शशरीरिक वजन में अत्यधिक कमी निहित है और इसमें वजन बढ़ने या ‘मोटा’ होने का तीव्र भय उत्पन्न होता है।
समाजविरोधी व्यक्तित्व (Antisocial personality) : ऐसा व्यवहार विकार जिसमें पलायनवृनि, अपरामाशीलता, स्वैरिता, चोरी, मवंसकारिता, लड़ना, सामान्य सामाजिक नियमों का उल्लंघन, खराब काम का इतिहास, आवेगशीलता, अविवेक, आवमकता, दुस्साहसी व्यवहार तथा आगे की योजना बनाने की अयोग्यता आदि विशेषताएँ पायी जाती हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ऐसे व्यवहार का विशिष्ट स्वरूप अलग-अलग होता है।
दुश्चिंता (Anxiety) : मानसिक व्यथा की एक दशा जिसमें भय, आशंका और शरीरक्रिया भाव बबोमान उदोलन पाया जाता है।
दुश्चिंता विकार (Anxiety disorders) : ऐसे विकार जिसमें दुश्चिंता ही प्रमुख लक्षण होती है। इस विकार में सुभेद्यता की भावना, आशंका या भय पाया जाता है।
अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान (Applied psychology) : सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के परिणाम स्वरूप मन, मस्तिष्क एवं व्यवहार के संबन्ध में मिले ज्ञान का व्यावहारिक अनुबयोग।
अभिक्षमता (Aptitude) : ऐसी विशेषताओं का संयोग जो व्यक्ति की बशिक्षण द्वारा कुछ विशिष्ट कौशलों को अर्जित करने की समर्थता का सूचक होता है।
अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude tests) : व्यक्ति के भावी निष्पादन की क्षमता का मापन करने वाले परीक्षण।
आद्यप्ररूप (Archetypes) : सामूहिक अचेतन की अंतर्वस्तुओं के लिए युंग द्वारा बयुक्त पद; अनुभव के संगठन के लिए वंशागत प्रतिरूपों को अभिव्यक्त करने वाली प्रतिमाएँ या बतीक।
भाव प्रबोधन (Arousal) : दूसरों के उपस्थित रहने या निष्पादन के मूल्यांकित होने के विचार से अनुभूत तनाव।
अभिवृत्तियाँ (Attitudes) : किसी विषय पर मन, विचारों या बत्ययों की वे स्थितियाँ जिनमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और व्यवहारात्मक घटक होता है।
अभिवृत्ति विषय (Attitude object) : किसी अभिवृत्ति का लक्ष्य।
गुणारोपण (Attribution) : अपने अथवा दूसरों के व्यवहार की व्याख्या करने के लिए उस व्यवहार के कारणों का विवरण देना।
सत्ता या प्रभुत्व (Authority) : किसी पद (जैसे - प्रबंधकीय) में निहित अधिकार जिनके आधार पर आदेश देना और उनका पालन किए जाने की अपेक्षा करना।
स्वलीनता (Autism) : शैशवावस्था में बारंभ होने वाला व्यापक विकासात्मक विकार जिसमें अनेक बकार की असमान्यताएँ निहित होती हैं, जैसे - भाषागत, बात्यक्षिक और गतिपरक विकास में न्यूनता, दोषपूर्ण वास्तविक परीक्षण और सामाजिक विरक्ति आदि।
संतुलन (Balance) : अभिवृत्ति व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें एक व्यक्ति (P) और दूसरे व्यक्ति (O) व्यक्ति (P) और अभिवृत्ति विषय (X) दूसरे व्यक्ति (O) और अभिवृत्ति विषय (X) अभिवृत्तियाँ एक ही दिशा में होती हैं या तार्किक रूप से एक-दूसरे से संगत होती है।
व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy) : ऐसी उपचार पद्धति जो दुरनुकूलक व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए व्यवहारवादी अधिगम सिद्धान्तों के नियमों पर आधारित होती है।
विश्वास (Beliefs) : किसी विषय से संबंधित विचारों या बत्ययों का संज्ञानात्मक घटक।
प्रमुख विशेषक या शीलगुण (Cardinal trait) : आलपोर्ट के अनुसार, वह एकल विशेषक जो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व में प्रमुखता से विद्यमान रहता है।
व्यक्ति अध्ययन (Case study) : व्यवहार के संबन्ध में सामान्य विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति या स्थिति का गहन अमययन।
केंद्रीय विशेषक या शीलगुण (Central traits) : दूसरों के बारे में विचार निर्मित करने के लिए मयान देने योग्य मुख्य विशेषक।