निम्नांकित पंक्तियों का हिन्दी अनुवाद लिखिए-
न चौरहार्यं न च राजहार्य
नभ्रातृभज्यं न च भारकारि ।
व्यये कृते वर्धते एव नित्यं
विद्या धनं सर्वधन प्रधानम्।।
विद्या नाम नरस्य रूप मधिकं प्रच्छन्न गुप्तं धनम् ,
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरूः |
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवताः
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या विहीनः पशुः ।।
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निम्नांकित पंक्तियों का हिन्दी अनुवाद लिखिए-
• न चोरहार्यं न च राजहार्यंन भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥
भावार्थ :
विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों में उसका भाग नहीं होता, उसका भार नहीं लगता, (और) खर्च करने से बढता है । सचमुच, विद्यारुप धन सर्वश्रेष्ठ है ।
• विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम् विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः । विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम् विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः ॥
भावार्थ :
विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है । वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है । विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है ।
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