निम्निलखित पंक्तिका सरल अर्थ लिखिए:-
है बिखेर देती वसुंधरा
मोती, सबके सोने पर।
रवि बटोर लेता है उनको
सदा सबेरा होने पर ।।
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Sorry i dont know
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यह पंक्तियाँ चारु चंद्र की चंचल किरणें नामक कविता से ली गई है | यह कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित की गई है|
भावार्थ
इस कविता में कवि ने पंच वटी के प्राकृतिक सोंदर्य का वर्णन किया है ।
वनवास के समय पंचवटी में रहते हुए लक्ष्मण और एक कुटिया में सीता की रक्षा करते हुए रात की प्राकृतिक सोंदर्य का वर्णन करते हैं ।
पृथ्वी सभी के सो जाने पर आसमान में नक्षत्र रूपी मोतियों को फैला देती है और सूर्य सदा ही सुबह हो जाने पर उन नक्षत्र रूपी मोतियों बटोरकर रख लेता है |
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