निम्न में से दो वचन का वाक्य है
रमा लिखती
तो परयत
दे बसंती
बांद्रा कुदरती
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Answer:
Plants are grouped into floras based on region (floristic regions), period, special environment, or climate. Regions can be distinct habitats like mountain vs. flatland. Floras can mean plant life of a historic era as in fossil flora. Lastly, floras may be subdivided by special environments:
Native flora. The native and indigenous flora of an area.
Agricultural and horticultural flora (garden flora). The plants that are deliberately grown by humans.
Weed flora. Traditionally this classification was applied to plants regarded as undesirable, and studied in efforts to control or eradicate them. Today the designation is less often used as a classification of plant life, since it includes three different types of plants: weedy species, invasive species (that may or may not be weedy), and native and introduced non-weedy species that are agriculturally undesirable. Many native plants previously considered weeds have been shown to be beneficial or even necessary to various ecosystems.
लिंग 2. वचन 3. पुरुष 4. क्रिया
1. लिंग
लिंग शब्द का सामान्य अर्थ है पहचान । संस्कृत में तीन प्रकार के लिंग होते हैं-
(I). पुल्लिंग (II). स्त्रीलिंग (III). नपुंसकलिंग
(I). पुल्लिंग-
पुल्लिंग शब्द सामान्यत: पुरुष जाति का बोध कराते हैं, जैसे- राम:, बालक:, हरि:, गुरु: आदि ।
(II). स्त्रीलिंग-
स्त्रीलिंग शब्द सामान्यत: स्त्री जाति का बोध कराते हैं, जैसे- रमा, लता, सीता, नदी, वधू आदि ।
(III). नपुंसकलिंग-
नपुंसकलिंग शब्द सामान्यत: नपुंसक जाति का बोध कराते हैं , जैसे- फलम्, वस्त्रम्, पुस्तकम्, गृहम् आदि ।
2. वचन-
शब्द के जिस रूप से उसके एक, दो या बहुत होने का ज्ञान हो, उसे वचन कहते हैं । संस्कृत में वचन तीन प्रकार के होते हैं-
(I). एकवचन (II). द्विवचन (III). बहुवचन
(I). एकवचन-
शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का ज्ञान हो, उसे एकवचन कहते हैं ।
(II). द्विवचन-
शब्द के जिस रूप से उसके दो होने का ज्ञान हो, उसे द्विवचन कहते हैं ।
(III). बहुवचन-
शब्द के जिस रूप से उसके तीन या तीन से अधिक होने का ज्ञान हो, उसे बहुवचन कहते हैं ।
3. पुरुष-
वाक्य को बोलने वाला, सुनने वाला और कोई अन्य, इनको पुरुष कहते हैं । संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं-
(I). प्रथम पुरुष (II). मध्यम पुरुष (III). उत्तम पुरुष
(I). प्रथम पुरुष-
किसी भी बात को बोलने वाला जिन संज्ञा या सर्वनामों का प्रयोग किसी अन्य के लिए करता है, अर्थात् न खुद के लिए करता है और न ही सुनने वाले के लिए करता है, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं । मध्यम और उत्तम पुरुष के छ: सर्वनाम शब्दों (त्वम्, युवाम्, यूयम्, अहम्, आवाम्, वयम् ) को छोड़कर सारे संज्ञा और सर्वनाम शब्द प्रथम पुरुष में ही आते हैं । जैसे- स:, तौ, ते, राम:, सीता आदि ।
(II). मध्यम पुरुष-
बोलने वाला जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले वाले के लिए करता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । मध्यम पुरुष में सिर्फ तीन सर्वनामों का ही प्रयोग होता है । जैसे- त्वम्, युवाम्, यूयम् ।
(III). उत्तम पुरुष-
बोलने वाला जिन सर्वनामों का प्रयोग अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । उत्तम पुरुष में सिर्फ तीन सर्वनामों का ही प्रयोग होता है । जैसे- अहम्, आवाम्, वयम् ।
पुरुष वाचक सर्वनाम का चार्ट-
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
पुल्लिंग
स:
तौ
ते
स्त्रीलिंग
सा
ते
ता:
नपुंसकलिंग
तत्
ते
तानि
मध्यम पुरुष
त्वम्
युवाम्
यूयम्
उत्तम पुरुष
अहम्
आवाम्
वयम्
पुरुष वाचक सर्वनाम का चार्ट अर्थ सहित-
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
पुल्लिंग
स: (वह)
तौ (वे दो)
ते (वे सब)
स्त्रीलिंग
सा (वह)
ते (वे दो)
ता: (वे सब)
नपुंसकलिंग
तत् (वह)
ते (वे दो)
तानि (वे सब)
मध्यम पुरुष
त्वम् (तुम)
युवाम् (तुम दो)
यूयम् (तुम सब)
उत्तम पुरुष
अहम् (मैं)
आवाम् (हम दो)
वयम् (हम सब)
4. क्रिया (धातुरूप)-
जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना अथवा किसी घटना के घटित होने का ज्ञान होता है, उन्हें क्रिया कहते हैं । जैसे- पठति, गच्छति, खादति आदि ।
एक धातुरूप से भी परिचित होते हैं-
पठ् धातु- पढना (लट् लकार-वर्तमान काल)-
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
पठति
पठत:
पठन्ति
मध्यम पुरुष
पठसि
पठथ:
पठथ
उत्तम पुरुष
पठामि
पठाव:
पठाम:
इसी प्रकार अन्य धातुरूपों को भी समझना चाहिए, जैसे लिखति- लिखना, खादति- खाना, पिबति- पीना, पतति- गिरना, गच्छति- जाना, धावति- दौड़ना, खेलति- खेलना आदि ।
अब अनुवाद प्रारम्भ करते हैं । अनुवाद के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु-
# जिस पुरुष और वचन का कर्ता होगा उसी पुरुष और वचन की क्रिया भी होगी । कर्ता उसे कहते हैं जो वाक्य में काम कर रहा हो, जैसे- “मोहन पढता है” इस वाक्य मोहन पढने का काम कर रहा है अत: मोहन कर्ता है ।
# प्रथम पुरुष में तीनों लिंगों के लिए अलग-अलग सर्वनामों का प्रयोग होता है, जैसा कि ऊपर चार्ट में बताया जा चुका है । मध्यम और उत्तम पुरुष में तीनों लिंगों के लिए एक जैसे सर्वनामों का प्रयोग होता है ।
# मध्यम और उत्तम पुरुष के छ: सर्वनाम शब्दों को छोड़कर अन्य सभी संज्ञा व सर्वनाम शब्द प्रथम पुरुष में ही आएँगे ।
सर्वप्रथम उत्तम पुरुष के वाक्यों अनुवाद-
उत्तम पुरुष के अनुवाद का नियम-
उत्तम पुरुष के सर्वनाम के साथ उत्तम पुरुष की क्रिया का ही प्रयोग होगा । साथ ही जिस वचन का सर्वनाम होगा उसी वचन की क्रिया भी होगी ।
उत्तम पुरुष के सर्वनाम-
उत्तम पुरुष
अहम्
(मैं)
आवाम्
(हम दो)
वयम्
(हम सब)
उत्तम पुरुष की क्रिया- पठ्- पढना
उत्तम पुरुष
पठामि
पठाव:
पठाम:
1. मैं पढता हूँ ।
अहं पठामि ।
इस वाक्य में “मैं” सर्वनाम में उत्तम पुरुष है और एकवचन है, अत: ‘मैं’ के लिए संस्कृत का सर्वनाम “अहम्” और ‘पढता हूँ’ में उत्तम पुरुष एकवचन की क्रिया “पठामि” का प्रयोग हुआ ।
2. हम दो पढते हैं ।
आवां पठाव: ।
इस वाक्य में “हम दो” सर्वनाम में उत्तम पुरुष है और द्विवचन है, अत: ‘हम दो’ के लिए संस्कृत का सर्वनाम “आवाम्” और ‘पढते हैं’ के लिए उत्तम पुरुष द्विवचन की क्रिया “पठाव:” का प्रयोग हुआ ।
3. हम सभी पढते हैं ।
वयं पठाम: ।
इस वाक्य में “हम सभी” सर्वनाम में उत्तम पुरुष है और बहुवचन है, अत: ‘हम सभी’ के लिए संस्कृत का सर्वनाम “वयम्” और ‘पढते हैं’ के लिए उत्तम पुरुष बहुवचन की क्रिया “पठाम:” का प्रयोग हुआ ।
इसी प्रकार अब उत्तम पुरुष के अन्य वाक्यों का अनुवाद करते हैं-
उत्तम पुरुष के सर्वनाम-
उत्तम पुरुष
अहम्
(मैं)
आवाम्
(हम दो)
वयम्
(हम सब)
उत्तम पुरुष की क्रिया- लिख्- लिखना
उत्तम पुरुष
लिखामि
लिखाव:
लिखाम:
उत्तम पुरुष की क्रिया- गम्- जाना
उत्तम पुरुष
गच्छामि
गच्छाव:
गच्छाम:
उत्तम पुरुष की क्रिया- खाद्- खाना
उत्तम पुरुष
खादामि
खादाव:
खादाम:
1. मैं लिखता हूँ ।
अहं लिखामि ।
2. हम दो लिखते हैं ।
आवां लिखाव: ।
3. हम सभी लिखते हैं ।
वयं लिखाम: ।
4. मैं जाता हूँ ।
अहं गच्छामि ।
5. हम दो जाते हैं ।
आवां गच्छाव:
6. हम सभी जाते हैं ।
वयं गच्छाम: ।
7. मैं खाता हूँ ।
अहं खादामि ।
8. हम दो खाते हैं ।
आवां खादाव: ।
9. हम सभी खाते हैं ।
वयं खादाम: ।
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