Hindi, asked by rajeshlubana, 6 hours ago

निम्िनिनित गद्यांश को पढ्कर पूछे गये प््श्िो् के उत््र दे्: (10)
जो वस््ु नजतिी ध्वंसकानरणी होती है, उसमे् सज्जिशक्तत भी उतिी ही नछपी रहती है। समाचार-पत्् जहाँ पि भर मे् िकसी राजसत््ा को ध्वंस कर सकता है, वहाँ उसमे् यह शक्तत भी है िक वह नकसी िवोनदत राष्््् का सुघड् सज्जि भी कर सके। समाचार-पत्् की शक्तत के इस पहिु को समझिे के निए हमे् प््थम यह देििा है िक राष््््- निम्ाजण के निए नकि शक्ततयो्, प््वृनतयो् और अवयवो् की आवश्यकता है। देिा यह गया है िक तािाशाही कभी भी नकसी नचरंति व्यवस्था युत्त राष्््् का निम्ाजण िही् कर पाई है। स्वाभानवक बात है नक समाज के निम्ाजता नजि निम्ाजणकारी नहतो् को पहचाि सकते है, साधारण जिता उन्हे् उतिी शीघ््ता से िही् पकड् पाती। जिसाधारण की इसी दीघ्जसूत््ता से निराश होकर महािुभाव सुधारो् को जबरदस््ी िादकर राष्््् निम्ाजण करिे की योजिाएं बिाते है। वे निम्ाजण का सारा उत््रादानयत्व अपिे पर ही िेते है। जिशक्तत पर नवश््ास ि करके, केवि सत््ा के आदेश और शक्तत पर नवश््ास ि करके, केवि सत््ा के आदेश और शक्तत पर नवश््ास करते है्। ठीक है, राष्््् का निम्ाजण इस िीनत से भी होता है नकंतु वह बहुत ही अस्थायी और अस्वभानवक होता है त्यो्नक निम्ाजण का भार संभाििे वािे मूिशक्तत जिमािस हुआ करती है। तािाशाह जिमािस के जागरण को कोई महत्व िही् देता। इसका निम्ाजण ऊपर से चिता है, नकंतु यह िादा हुआ भार स्वर्प निम्ाजण हो जाता है। सच््ा राष्््् निम्ाजण वह है जो जिमािस की तैयारी पर आधानरत रहता है। योजिाएं शासि और सत््ा बिाये, उन्हे् काय्जर्प मे् भी पनरणत करे, िकंतु साथ ही उन्हे् िचरस्थायी बिाये रििे एवं पूण्जतया उद््ेश्यपून्तज के निए आवश्यक है नक जिमािस उि योजिाओ् के निए तैयार हो। स्पष्् शब्दो् मे् हम कह सकते है नक सत््ा राष्््् निम्ाजण र्पी फसि के निए हि चििे वािे िकस का काय्ज तो कर सकती है, नकंतु उसे भूनम जिमािस को ही बिािी पड्ेगी।
उपय्जुत्त गद््ांश के आधार पर निम्िनिनित प््श्िो् के उत््र दे्:- ध्वंसकानरणी वस््ु की त्या नवशेषता है?
1. h. hhh. 2. h. hhh. 3. h. hhh. 4. h. 5. h. hhh. 6. h.
उसम्े सज्जि शक्तत देिी होती है।
उसमे् सज्जि शक्तत नछपी रहती है।
तािाशाही की सबसे बड्ी कमजोरी त्या है?
व्यवस्था-युत्त राष्््् का निम्ाजण िही् कर पाती।
व्यवस्था को राष्््् के उपयुत्त बिाती है।
समाज के िेता िकन्हे् शीघ््ता से पहचाि िेते है्?
दीघ्जसूत््ता को
व्यवस्था-युत्त राष्््् को
निम्ाजण का भार संभाििे वािी मूिशक्तत कौि हुआ करती है?
तािाशाही hh.िेतागण hhh.जिमािस hu.निम्ाजता सत््ा राष्््् निम्ाजणरप् ी फसि के निए त्या काय्ज करती है?
रथ चिािे वािे सारथी का
योजिा बिािे वािे निम्ाजता का
यहाँ ‘सृजि’ शब्द का त्या अनभप््ाय है? नविाश hh.निम्ाजण
hh. देश चिािे वािे िेता का hu. हि चिािे वािे नकसाि का
hhh.पति hu.उत्थाि
hh. उसमे् नवध्वंस शक्तत नछपी रहती है। hu. उसमे् कम सज्जि शक्तत होती है।
hh. व्यवस्था-युत्त राष्््् का निम्ाजण करती है। hu. व्यवस्था कायम करती है।
hh. राष्््् निम्ाजण की प््वृनतयो् को hu. निम्ाजणकारी नहतो् को
(O`fd 1-6)

7. h. hhh. 8. h. hhh. 9. h.
hhh. 10. h.
2.
सच््ा राष्््् निम्ाजण त्या है? जो अपिी मिमािी करे।
जिमािस की तैयारी पर आधानरत हो। समाचार-पत्् त्या कर सकते है? राजसत््ा को ध्वंस कर सकते है।
समाज के निम्ाजणकारी नहतो् को पहचाि सकते है।
समाचार पत्् के पहिु को समझिे के निए हमे् त्या करिा होगा?
1. h. hhh. 2. h. hhh. 3. h. 4. h. hhh. 5. h.
मृतक मे् भी डाि देगी जाि
धूनि-धूसर तुम्हारे ये गात...
छोड्कर तािाब मेरी झोपड्ी मे् निि रहे, जिजात
परस पाकर तुम्हारा ही प््ाण,
नपघिकर जि बि गया होगा कनठि पाषाण
छू गया तुमसे नक झरिे िग पड्े शेफानिका के फूि
बाँस था नक बबूि ?
तुम मुझे पाए िही् पहचाि ?
देिते ही रहोगे अनिमेष !
थक गए हो ?
आँि िूँ मै् फेर ?
त्या हुआ यनद हो सके पनरनचत ि पहिी बार ?
‘दंतुनरत’ मुस्काि से कनव का त्या आशय है?
दाँतरनहत नशशु की ििश्छि मुस्काि
नशशु की मि को मोहिे वािी मुस्काि
कनवता मे् ‘झोपड्ी’ और ‘जिपात’ शब्द नकसके प््तीक है?
जिशक्तत पर नवश््ास करिा होगा।
निम्ाजण का उत््रादानयत्व िुद पर िेिा होगा। ध्वंस का नवपरीत शब्द नििे।
निम्ाजण hh. पति निम्िनिनित पद््ांश को धय् ािपूव्जक पन्ढए- तुम्हारी यह दंतुनरत मुस्काि
hh. राष्््् निम्ाजण के निए नकि शक्ततयो् प््वृनतयो् और अवयवी की आवश्यकता है।
छोटे घर व कमि समाि नशशु के
अभाव और संपन्िता के
नशशु कनव को नकस प््कार देि रहा है?
अधिुिी िजरो् से। hh. अपनरनचत िजरो् से।
कनव आँि फेरे िेिे की बात त्यो् करता है?
नशशु को िज़र ि िग जाए इस कारण।
पहिी बार म्े ही पनरचय हो जाये एेसा आवश्यक ि जािकर। ‘अनिमेष’ शब्द का अथज् बताइए।
नतरछी िज़रो् से hh. एक िज़र भर
hh. गरीबी और जि स््््ोत के hu. संपूणज्ता और वैभव के
hhh. असमंजस भरी िज़रो् से।
hu. नबिा पिक झपक।े
hh. सत््ा के आदेश और शक्तत पर नवश््ास करे।

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Answered by dimpalgadwal
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