निम्िनिनित गद्यांश को ध्ययिपूर्वक पढ़कर पूछेगयेप्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में निनिए।
ठिजलू खर्चीएक बरुयईह,ैइसकेपीछेबयररकी सेनजर डयलेतो अहां कयरनजर आयेगय। अहां केप्रदशनश सेतठृिठिलती
ह।ैअहां की पठूतशकेठलए कई बयर बरुयइयों सेररश्तय भी जोड़नय पड़तय ह।ैअहां कयरी लोग बयहर सेभलेही गांभीरतय
कय आवरण ओड़ ले, लेठकन भीतर सेवेउथनेपन सेपरेरहतेहैं। जब कभी सिद्रु तट पर जयनेकय िौकय ठिलेतो,
आप देखेंगे ठक लहरें आती हैं, जयती हैं और र्चट्टयनों से टकरयती हैं। पत्थर वहीं रहते हैं, लहरें उन्हें ठभगोकर लौट
जयती हैं । हियरे भीतर हियरे आवेगों की लहरें हिें ऐसे ही टक्कर देती हैं । इन आवेगों, आवेशों के प्रठत अठडग रहने
कय अभ्ययस करनय होगय, क्योंठक अहां कयर यठद लबें सिय तक ठटकने की तैययरी िें आ जयए तो, वह नए नए तरीके
ढूूँढेगय। स्वयां को िहत्व ठिलेअथवय स्वच्ेछयर्चयररतय के प्रठत आग्रह, यह सब धीरे-धीरे सयियन्य जीवन शैली बन
जयती है । ईसय िसीह ने कहय है – “िैंउन्हेंधन्य कह गूँय, जो अठांति ह।ै” आज केभौठतक यगु िेंयह ठटप्पणी कौन
स्वीकयरेगय, जब ‘र्चयरों ओरनबांर वन’होने की होड़ लगी है । ईसय िसीह ने इसी िें आगे जोड़य है ठक “ईश्वर के रयज्य
िें वही प्रथि होंग,ेजो अठां ति हैंऔर जो प्रथि होनेकीदौड़ िें रहेंगे, वे अभयगे रहेंगे ।” यहयूँ ‘अठांति’होनेकय सांबांध
लक्ष्य और सिलतय सेनहींह।ैजीसस नेठवन्रितय, ठनरहकां यररतय को शब्दठदययहै‘अठां ति’। आपके प्रययस व पररणयि
प्रथि हो, अग्रणी रह,ेपर आप भीतर सेअठांति हो ययठन ठवनम्र, ठनरहकां यरी रह।ेंअन्यथय अहांअकयरण ही जीवन के
आनांद को खय जयतय ह।ै
1. गद्यांश िेंठिजलू खर्ची को सक्ष्ूि दृठि सेक्यय कहय गयय ह?ै
2. अहां कयरी व्यठियों की ठकन कठियों की ओर सांकेत ठकयय गयय है?
3. आवेगों की लहरें हिें ठकस प्रकयर टक्कर देती हैं?
4. ठनरहकां यररतय शब्द िेंप्रयिु उपसगशएवांप्रत्ययअलग दीठजए?
5. प्रस्ततु गद्यांश कय सवयशठधक उपयिु शीर्कश तकश सठहत ठलठखए?
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I can help you but can,t understand your language
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