निम्न पंक्तियों में व्यंग्यार्थ स्पष्ट करें।
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते
की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों
टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
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जो समस्त प्रकार का भार वहन करता है या समस्त जिम्मेदारियों को ढोहता है उसका अधिक महत्त्व होता है क्योंकि उसके बिना हम बहुत कुछ काम पूरा नहीँ कर पाते
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लेखक यह कहना चाहता है कि जूता टोपी से महंगा होता है इसलिए एक सामान्य व्यक्ति के लिए जूता खरीदना आसान नहीं होता। एक जूते की कीमत में अनेक टोपियां खरीदी जा सकती है। टोपी तो नई पहनी जा सकती है परंतु जूता नया नहीं लिया जा सकता। जीवन की यह विडंबना है कि जिसका स्थान पांव में है अर्थात नीचे है, वह अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, उसकी कीमत अधिक होती है जबकि सिर पर बिठाने योग्य व्यक्ति को सम्मान कम मिलता है।
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