निम्न पॉक्तयों को ध्यान से पढ़िए- नौकरा म आह५ का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूढ़ना जहा कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ। (क) यह किसकी उक्ति है? (ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है? (ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?
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निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है, ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है, जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती।
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