निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं?
(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?
(iii) भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों?
(iv) किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है?
(v) जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं?
(vi) मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?
(vii) मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है?
Answers
उत्तर :
(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं : क) अक्षांश ,ख) ऊंचाई , ग) वायुदाब एवं पवनें।
(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु इसलिए है क्योंकि भारत में मानसूनी जलवायु में परिवर्तन के साथ पवनों की दिशा उलट जाती है। अधिकतर वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। भारत में इसी प्रकार की जलवायु दशाएं पाई जाती हैं अर्थात भारत की जलवायु पूर्ण रूप से मानसून से जुड़ी हुई है।
(iii) भारत के थार मरुस्थल में दैनिक तापमान सबसे अधिक होता है क्योंकि यहां दूर-दूर तक रेत का विस्तार है। दिन के समय रेत एकाएक गर्म हो जाती है और तापमान बढ़ जाता है।
(iv) दक्षिण-पश्चिमी पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है।
(v) जेट धाराएँ उपरी वायुमंडल (1200 मी से भी अधिक ऊंचाई पर) में तेज गति से चलने वाली पवनें है। जेट धाराएँ गर्मियों में लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा तथा सर्दियों में 184 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
भारत की जलवायु पर प्रभाव :
शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मंडल में पश्चिमी जेट धारा की स्थिति रहती है। जून के महीने में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है।
ऐसा माना जाता है कि उत्तरी भारत में मानसून के अचानक फटने के लिए यह वायु धारा उत्तरदाई है। इसका शीतकारी प्रभाव देश में पहले से ही उमड़ते-घुमड़ते बादलों को वर्षा करने के लिए बाध्य करता है । आठ से 10 दिनों में ही मानसून का प्रसार सारे भारत में हो जाता है।
(vi) मानसून : मानसून पर एक ऐसी ऋतु है जिसमें पवनों की दिशा उनकी पूरी तरह से उलट जाती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'मौसिम’ सबसे हुई है। 'मौसिम’ का शाब्दिक अर्थ मौसम है।
मानसून में विराम :
भारत में मानसूनी वर्षा लगातार नहीं होती। कुछ दिनों की वर्षा के बाद एक शुष्क अंतराल आ जाता है। ऐसा मानसून गर्त की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है। इस गर्त की स्थिति उत्तर दक्षिण की ओर बदलती रहती है। जब यह गर्त उत्तर में स्थित होता है तो वहां वर्षा होती है जब इसकी स्थिति दक्षिण में होती है तो दक्षिण में वर्षा होती है और उत्तर में वर्षा रहित अंतराल आ जाता है। इसी अंतराल को मानसून में विराम कहते हैं।
(vii) मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला इसलिए समझा जाता हैं क्योंकि भारत एक विशाल देश है। इस विशालता के कारण देश के विभिन्न भागों के धरातल, जलवायु , वनस्पति तथा जन जीवन में विविधता पाई जाती है। यह एक ऐसा भौगोलिक कारक है जो इन विविधताओं में एकता स्थापित करता है।
उदाहरण के लिए लगभग पूरा देश ‘आगे बढ़ते मानसून की ऋतु’ में वर्षा प्राप्त करता है। इसी प्रकार भारत के भू दृश्य, जीव जंतु तथा वनस्पति मानसून से प्रभावित होते हैं । भारत में खेती के सभी कार्य मानसून के अनुसार किए जाते हैं। यहां तक कि देश के तीज त्यौहार भी इसी ऋतु के चारों ओर घूमते है । वास्तव में मानसून के कारण प्रतिवर्ष ऋतुओं के चक्र की एक लय बनी रहती है। अतः प्रतिवर्ष सभी भारतवासी मानसून के आने की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।।
Answer:
उत्तर :
(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं : क) अक्षांश ,ख) ऊंचाई , ग) वायुदाब एवं पवनें।
(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु इसलिए है क्योंकि भारत में मानसूनी जलवायु में परिवर्तन के साथ पवनों की दिशा उलट जाती है। अधिकतर वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। भारत में इसी प्रकार की जलवायु दशाएं पाई जाती हैं अर्थात भारत की जलवायु पूर्ण रूप से मानसून से जुड़ी हुई है।
(iii) भारत के थार मरुस्थल में दैनिक तापमान सबसे अधिक होता है क्योंकि यहां दूर-दूर तक रेत का विस्तार है। दिन के समय रेत एकाएक गर्म हो जाती है और तापमान बढ़ जाता है।
(iv) दक्षिण-पश्चिमी पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है।
(v) जेट धाराएँ उपरी वायुमंडल (1200 मी से भी अधिक ऊंचाई पर) में तेज गति से चलने वाली पवनें है। जेट धाराएँ गर्मियों में लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा तथा सर्दियों में 184 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
भारत की जलवायु पर प्रभाव :
शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मंडल में पश्चिमी जेट धारा की स्थिति रहती है। जून के महीने में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है।
ऐसा माना जाता है कि उत्तरी भारत में मानसून के अचानक फटने के लिए यह वायु धारा उत्तरदाई है। इसका शीतकारी प्रभाव देश में पहले से ही उमड़ते-घुमड़ते बादलों को वर्षा करने के लिए बाध्य करता है । आठ से 10 दिनों में ही मानसून का प्रसार सारे भारत में हो जाता है।
(vi) मानसून : मानसून पर एक ऐसी ऋतु है जिसमें पवनों की दिशा उनकी पूरी तरह से उलट जाती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'मौसिम’ सबसे हुई है। 'मौसिम’ का शाब्दिक अर्थ मौसम है।
मानसून में विराम :
भारत में मानसूनी वर्षा लगातार नहीं होती। कुछ दिनों की वर्षा के बाद एक शुष्क अंतराल आ जाता है। ऐसा मानसून गर्त की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है। इस गर्त की स्थिति उत्तर दक्षिण की ओर बदलती रहती है। जब यह गर्त उत्तर में स्थित होता है तो वहां वर्षा होती है जब इसकी स्थिति दक्षिण में होती है तो दक्षिण में वर्षा होती है और उत्तर में वर्षा रहित अंतराल आ जाता है। इसी अंतराल को मानसून में विराम कहते हैं।
(vii) मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला इसलिए समझा जाता हैं क्योंकि भारत एक विशाल देश है। इस विशालता के कारण देश के विभिन्न भागों के धरातल, जलवायु , वनस्पति तथा जन जीवन में विविधता पाई जाती है। यह एक ऐसा भौगोलिक कारक है जो इन विविधताओं में एकता स्थापित करता है।
उदाहरण के लिए लगभग पूरा देश ‘आगे बढ़ते मानसून की ऋतु’ में वर्षा प्राप्त करता है। इसी प्रकार भारत के भू दृश्य, जीव जंतु तथा वनस्पति मानसून से प्रभावित होते हैं । भारत में खेती के सभी कार्य मानसून के अनुसार किए जाते हैं। यहां तक कि देश के तीज त्यौहार भी इसी ऋतु के चारों ओर घूमते है । वास्तव में मानसून के कारण प्रतिवर्ष ऋतुओं के चक्र की एक लय बनी रहती है। अतः प्रतिवर्ष सभी भारतवासी मानसून के आने की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।।