Hindi, asked by ankitky66333355526, 2 months ago

निम्न पद्यांश को पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 2x
नील परिधान बीच सुकुमार
खुल रहा मृदुल अधखुला अंग।
खिला हो ज्यों बिजली का फूल
मेघ बन बीच गुलाबी रंग।
ओह! वह मुख! पश्चिमी के व्योग
बीच जब घिरते हो घनश्याम।
अरुण रवि मण्डल उनको भेद
दिखाई देता हो छवि धाम।
-(क) पद्यांश का सन्दर्भ लिखो।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या करो।
(ग) इन पंक्तियों में किसकी वेश-भूषा का वित्रात्मक वर्णन किया गया है?
(घ) श्रद्धा अपने शरीर पर किस प्रकार के वस्त्र धारण किये हुए हैं।
(ङ) श्रद्धा की वेश-भूषा को देखकर कैसा प्रतीत हो रहा है?​

Answers

Answered by priyanshikaushal03
1

Answer:

yaar we dont know about chill

Answered by gktake88
0

Answer:

उत्तर ( क) प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक में संकलित जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘श्रद्धा-मनु’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।

( ख ) प्रसाद जी लिखते हैं कि श्रद्धा भेड़-चर्म के बने नीले वस्त्र में अत्यन्त आकर्षक दिख रही है। वस्त्रों के मध्य कहीं-कहीं से दिखाई दे रहे उसके कोमल अंग ऐसे प्रतीत हो रहे हैं, जैसे वे नीले बादलों के समूह में चमकती हुई बिजली के गुलाबी-गुलाबी फूल हों।

( ग ) भेड़-चर्म के बने नीले वस्त्र में उसके कोमल अंग का वित्रात्मक वर्णन किया गया है ।

( घ ) नीले रंग का

(ङ) गुलाबी फूलो के समान प्रतीत हो रहा है ।

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