निम्न संख्याओं में से चुनिए:
(i) प्राकृत संख्याएं
(ii) पूर्णाक जो प्राकृत संख्याएं नहीं हैं
(iii) परिमेय संख्याएं जो प्राकृत संख्याएं नहीं हैं
(iv) अपरिमेय संख्याएं
–3, 17, 6/7, –3/8, 0, –32, 3/14, 11/6, √2, 2+√3
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गणित में 1,2,3,... इत्यादि संख्याओं को प्राकृतिक संख्याएँ (अंग्रेज़ी: natural numbers) कहते हैं। ये संख्याएँ वस्तुओं को गिनने ("मेज पर 5 किताबें हैं") अथवा क्रम में रखने ("मैंने स्पर्धा में 6वाँ स्थान पाया") के लिए प्रयुक्त होती हैं।
प्राकृतिक संख्याओं के जो गुणस्वभाव भाज्यता से संबंधित हैं।
उनका अध्ययन संख्या सिद्धांत में होता हैं। उदाहरण: अभाज्य संख्याओं का बंटन। विभाजन प्रगणना इत्यादि गणना तथा क्रमीकरण संबंधी समस्याओं का अध्ययन क्रमचय-संचय में किया जाता है।
कुछ लेखक शून्य को भी प्राकृतिक संख्याओं के समुच्चय में गिनते हैं, लेकिन अधिकतर लेखक केवल 1, 2, 3, ... इत्यादि धन संख्याओं को प्राकृतिक संख्याएँ बताते हैं।
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