Hindi, asked by dadeechvansh, 6 months ago

निम्न उदाहरणों में उपमा अलंकार के भेदों की पहचान कर लिखिए।
1. पीपर पात सरिस मन डोला।
2. हरिपद कोमल कमल से।
3. तारा-सी तुम सुंदर।
4. माबूत शिला-सी दृढ़ छाती।
5. मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला।
6. यों ताशों के महलों-सी मिट्टी की वैभव बस्ती क्या।
7. किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा में।
8. पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात।
9. जो झरते फूलों पर देता निज चंदन-सी ममता बिखरा।
10. नील सरोरुह, नील मनि, नील, नीरधर स्याम।​

Answers

Answered by shailajasonawane777
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Explanation:

शब्दालंकार तीन प्रकार के हैं - १,अनुप्रास , २. यमक , ३. शलेष ।

१. अनुप्रास अलंकार : काव्य में जब एक वर्ण से प्रारम्भ होने वाले शब्दों की रसानुकूल दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रासअलंकार होता है।

जैसे : तरनि-तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।

भूरी -भूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया ।

यहाँ पर त की आवृत्ति बार बार है।

२, यमक अलंकार :जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँयमक अलंकार होता है।

जैसे : कनक कनक तें सौगुनी, मादकता अधिकाय।

या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।।

यहाँ पर पहले में कनक का अर्थ ‘सोना’ तथा दूसरे का ‘धतूरा’ है।

३. श्लेष अलंकार : जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है।

जैसे : पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून।

यहाँ पर ‘पानी’ शब्द का अर्थ : मोती के संदर्भ में अर्थ है चमक, मनुष्य के संदर्भ में ‘इज्जत’ तथा चून(आटा) के संदर्भ में जल है ।

2 अर्थालंकार- ये अर्थ पर आधारित होते हैं।

अर्थालंकार के भेद हैं. - उपमा , रूपक ,उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान आदि।

1-उपमा- जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है

जैसे - हरिपद कोमल कमल से ।

यहाँ पर हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई है ।

2- रूपक- जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद बताया जाता है।

जैसे -अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी

यहाँ पर अम्बर रूपी पनघट।तारा रूपी घट।ऊषा रूपी नागरी है ।

3-उत्प्रेक्षा- उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाता है।

जैसे - मुख मानो चन्द्रमा है।

यहाँ पर मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है।

Note: इस अलंकार की पहचान :मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से हो जाती है।

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