निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:
सांझ होने लगी थी, धूप की सुनहरी परछाइयाँ सिंदूरी साँझ की बाहों में समा गई। मैं इस साँझ को अपने तन की
आखा से देखता हूँ और मन की आँखों से उस दादी की छवि को जो मानस पटल पर उभर आई है। तन की आंख
सिर्फ आज देखती है जबकि मन की आँख तमाम बीते हुए कल। मन की इसी आँख ने मुझे अपनी दिवंगत दादी की
बाद दिला दी जो बचपन में हमें सांझ के समय घर के बाहर जाने से रोकती थी। - कहती थी 'संजा बिरया घर के
बाहर नयी जानो बेटा, दीया बत्ती के टेम घर रेनो।' तर्क देती थी कि गोधूलि बेला में जब गावें भी अपने घर
लोटती हैं अपने बछड़े के पास तो फिर तुम क्यों घर के बाहर जाते हो? वह कहती रहती थीं और हम थोड़ी देर
उनका गाद में बैठकर घर लौटती गायों को देखते, उनकी आंख बचाकर घर के बाहर भाग जाया करते थे। यह
सिलसिला बचपन में चलता रहा। बचपन की दहलीज़ लांघी, जीवन संघर्ष में यौवन उलझा और अब वार्धक्य में
स्मृतियों के भंवर में घूम रहे हैं। इस सांध्य बेला में साँझ खूब याद आती है। ऐसी जाने कितनी साँझें याद आयीं और
बीत गई लेकिन दादी की 'संजा बिरया' बीतती नहीं। सोचता हूँ तो बार-बार लगता है कि वह संध्या के समय घर
के बाहर न जाने की मनुहार करते जब गायों के गोधूलि बेला में अपने-अपने घर लौटने का उदाहरण देती थीं तो
क्या यह उनकी समझ थी या उनका संस्कार?
11. अनुच्छेद में सांझ को सिंदूरी इसलिए कहा गया है, क्योंकि-
(A) सांझ बहुत गहरे लाल रंग की होती है।
(BT शाम के समय आकाश में लालिमा होती है।
(C) शाम को लोग जी भरकर मौज-मस्ती करते हैं।
(D) सांझ के समय लोग लाल रंग का प्रयोग करते हैं।
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Answer:
शाम के समय आकाश में लालिमा होती है।
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निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है:
11. अनुच्छेद में सांझ को सिंदूरी इसलिए कहा गया है, क्योंकि-
इसका सही जवाब है:
(BT शाम के समय आकाश में लालिमा होती है।
सांझ होने लगी थी, धूप की सुनहरी परछाइयाँ सिंदूरी साँझ की बाहों में समा गई।
कहने का अर्थ है शाम के समय आकाश का रंग लाल रंग का हो जाता और देखने में भी बेहद खुबसुरत लगता है | जब शाम के समय में जब धूप चली जाती है , उसकी परछाइयाँ आकाश की लालिमा में चली जाती है|
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