Hindi, asked by minalkala5128, 7 months ago

निम्नलिखित अपठित बोध को ध्यान पूर्वक पढ़ते हुए सही विकल्प चुनिए I इस भूमि, भूमि पर बसने वाला जन और उसकी संस्कृति-इन तीनों के सम्मिलित रूप से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। भूमि के मौखिक रूप और समृद्धि के प्रति सचेत होना हमारा कर्तव्य है। जो राष्ट्रीयता पृथ्वी साथ जुड़ी नहीं होती. वह निर्मूल होती है। के धरती माता की कोख में जो अमूल्य निधियाँ भरी पड़ी हैं, उन्हीं के कारण वह वसुंधरा कहलाती है। हमारे भावी कंप्यूटर द्वारा इनकी जाँच-पड़ताल आवश्यक है। मातृभूमि पर निवास करने वाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं। उनके कारण ही पृथ्वी मातृभूमि की संज्ञा प्राप्त करती है। पृथ्वी माता है और जन अर्थों में पृथ्वी का पुत्र है। जहाँ यह भाव नहीं है, वहाँ जन और भूमि का संबंध अचेतन और जड़ बनाए रहता है। माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है। इसी प्रकार पृथ्वी पर बसने वाले जन बराबर हैं। उनमें ऊँच और नीच का भाव नहीं है। ये जन अनेक प्रकार की भाषाएँ बोलने वाले और अनेक धर्मों को मानने वाले हैं, फिर भी ये मातृभूमि के पुत्र हैं। सभ्यता और रहन-सहन की दृष्टि से जन एक-दूसरे से आगे-पीछे हो सकते हैं, किंतु इस कारण से मातृभूमि के साथ उनका जो संबंध है, उनमें कोई भेदभाव उत्पन्न नहीं हो सकता। समन्वय के मार्ग आगे नहीं से भरपूर प्रगति और उन्नति करने का सबको एक जैसा अधिकार है। किसी जन को पीछे छोड़कर राष्ट्रबढ़ सकता। *
1. राष्ट्र का स्वरूप कैसे बनता है?
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Answered by pro5653
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Answer:

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