निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्प में से चुनिए ।
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल में
बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं जीवन-भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल
आधारशिला कहा गया है । यदि यह नींव दृढ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है । यदि
इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुंदर बनता है । यदि मन लगाकर अध्ययन
कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है । जिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर
सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी
प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह
आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है । सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की
आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुन्दर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के
बीच रह कर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती
'संसार को सौरभ' देने का अर्थ है-
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sorry
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I don't understand Hindi sorry for that
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