निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
जहाँ कोयल की मीती वाणी सबका मन मोह लेती है, कही कौए की ककश आवाज किसी को अभी नहीं लगती। मधुर वचन सुनने वालों को ही नहीं बल्कि बोलने वालों को भी आत्मिक शांति प्रदान करते हैं। मनुष्य अपनी सादावनाओं को अधिकाश प्रदर्शन करानी बारा ही करता है। मधुर वचन तत्प और दुखी व्यक्ति का सही और सच्चा उपचार है। सहानुभूति के कुछ शब्द उसे इतना मुख देते हैं जितना समार का कोई धनकोष नहीं दे पाता। मधुर भाषी शीघ्र ही सबका मित्र बन जाता है। लोग उसकी प्रशंसा करते है। यहाँ तक कि पराए भी अपने बन जाते हैं। इससे समाज में पारस्परिक सौहार्द की भावना पैदा होती है लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए, तत्पर ही जाते हैं। सामाजिक मान प्रतिष्ठा और माता का आधार भी मधुर वाणी ही है। मधुर वचन किसी के मन को ठेस नहीं पहुचाते बल्कि दूसरों के क्रोध को शांत करने में सहायक होते हैं। मधुर वागी में ऐसा आकर्षण है जो बिना रस्सी के सब को बांध लेती। अतः याद रखना चाहिए।
(अपठित गराांश
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।
मधुर याग की विशेषताएं
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हमारी वाणी में मधुरता का जितना अधिक अंश होगा हम उतने ही दूसरों के प्रिय बन सकते हैं। हमारी बोली में माधुर्य के साथ-साथ शिष्टता भी होनी चाहिए। मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है।
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