Hindi, asked by shlokd228, 4 months ago

निम्नलिखित अपठित पद्यांश का सरल अर्थ लिखे: गुन के गाहक सहस नर बिन गुनल लहै न कोय|| जैसे कागा कोकिला , शब्द सुने सब कोय​

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Answered by hii5061
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Answer:

प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी व्यक्ति को हजारों लोग स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

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