निम्नलिखित अवतरण को पढकर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। कहते हैं, दुनिया बड़ी भूलक्कड है! केवल उतना ही याद रखती है, जितने से उसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है। शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं सधारा क्यों उसे वहयाद रखती?सारा संसार स्वार्थका अखाड़ा ही तो है। क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक कौन है? ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। ग) प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रसंग की चर्चा की गई है? घ) लेखक ने गद्यांश में किस प्रकार के लोगों को स्वार्थी कहा है? ताका अरवाडा ही तो है।' पंक्ति का क्या आशय है?
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क) प्रस्तुत गद्याश दूनिया पाठ से लिया गया तथा इसके लेखक अशोक है |
ख) दूनिया बडीं भूलक्कड हो गई है |
ग) प्रस्तुत गद्याश में स्वार्थ , संसार स्वार्थका ये प्रसंग कि चर्चा की गई है |
घ) कहते हैं , दुनिया बडी भूलक्कड है ! केवल उतना ही याद रखती है , जितने से उसका स्वार्थ सधता है| ताका असवाडा है |
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