निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:
भारत की दलगत राजनीति में कई चुनौतियों का सामना किया है I कांग्रेस- प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्मा-प्रतिनिधित्व की नई प्रवृत्ति का भी जोर और बढ़ा I इस से दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की क्षमता पर भी सवाल उठे I राज व्यवस्था के सामने एक महत्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगत व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें…
- जोया हसन
(क) इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आप दलगत व्यवस्था कि चुनौतियों की सूची बना सकते हैं?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उन में एकजुटता का होना क्यों जरूरी है?
(ग) इस अध्याय में आप ने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा I इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
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(क) लेखक गठबंधन सरकार को चुनौती देने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी में गठबंधन को चुनौती देता है ताकि वह आत्म-प्रतिनिधित्व पर एक नया जोर दे सके।
(ख) देश में बढते आक्रोश को थामने के लिए विभिन्न हितों को समायोजित करना आवश्यक है।
(ग) अयोध्या विवाद होने से भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे देश की संस्कृति में विविधता बनाए रखना तथा विभिन्न प्रकार के हितों को समायोजित करने की चुनौती सामने आई।
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