निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर कहानी लिखें कपड़े की दुकान
एक छात्र
व्यापारी मित्र
नियमित आना जाना
अबलोकन करना
प्रेरणा
सफलता पाना
Answers
Explanation:
राजू अपने माता – पिता के साथ एक छोटी सी झोपडी में रहता है। पिता दिहाड़ी मजदुर है जिनको घर का खर्चा चलाने में बहुत दिक्कत होती है।
राजू को पढाई करना कतई पसंद नहीं था, ओर खास कर के गणित और अंग्रेजी तो उसे बहुत डराती थी ।
इस बात से राजू के पिता भी बहुत चिंतित थे। एक दिन राजू के पिता ने राजू से पूछा की क्या तुम आगे भी पढ़ना चाहते हो, अगर चाहते हो तब तो ठीक है और अगर नहीं पढ़ने का मन है तो कोई छोटा मोटा काम धंधा करो।
क्योकि तुम हर बार परीक्षा में फ़ैल हो जाते हो और मेरी हैसियत इतनी नहीं की तुम्हारी पढाई का खर्च उठा सकू ,अगर कोई काम करोगे तो कुछ आमदनी होगी और मुझे घर खर्च चलाने में मदद मिलेगी।
राजू ने कुछ सोचने के बाद , परेशान होकर घर से निकल गया और काम की तलाश में लग गया।
पुरे दिन भर भटकने के बाद भी उसे एक छोटी सी नौकरी तक नहीं मिली , थका हारा वह भटकते हुए अब तो उसे जोरो से भूक भी लगने लगी थी।
तभी उसने एक चौराहे पर देखा की एक दूकान है जंहा काफी ज्यादा भीड़ लगी हुई है , राजू ने सोचा की यंहा तो ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है , एक बार काम मांग कर देखता हूँ , क्या पता कोई काम मिल जाए।
राजू सीधे दूकान के मालिक से मिलता है और पूछता है की क्या आपकी दूकान में मेरे लायक कोई काम है? मैं कोई भी काम कर लूंगा.
यह सुनकर दूकानदार ने पूछा की क्या तुम्हे पढ़ना लिखना और हिसाब किताब करना आता है। तब राजू कहता है की हाँ मुझे पढ़ना लिखना आता है।
दूकान दार अंदर जाता है और अंदर से दो पर्चे ले कर आता है , व पर्चे राजू को दे देता है और दूकान दार कहता है की जल्दी से ये दोनों पेपर भर कर दो , तुम्हारे पास आधा घंटा है , अगर तुमने ये दोनों पर्चे भर दिए तो तुम्हारी नौकरी पक्की।
लेकिन जैसे ही राजू ने वो दोनों पर्चे देखे वैसे ही उसके हाथ पाव फूलने लगे क्योकि उसमे से एक परचा गणित का और दूसरा परचा अंग्रेजी का और ये दोनों उसके बस की बात नहीं थी।
देखते-देखते आधा घंटा बित गया। दुकानदार आया और राजू से पर्चे मांगे, लेकिन दोनों पर्चे खाली देखकर वह क्रोधित हुआ।
दुकान के मालिक ने कहा की तुम तो किसी काम के नहीं, मैं तुम्हे नौकरी नहीं दे सकता , तुम जा सकते हो।
राजू हिन भावना से ग्रस्त होकर घर लौट आया और लौट कर जोर जोर से रोने लगा।
जब पूरी बात पिता को पता चली तो कहने लगे की बेटा काम केसा भी हो छोटा या बड़ा , हर क्षेत्र में शिक्षा की जरुरत पड़ती है। तो अगर जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो शिक्षा को अपनाना पड़ेगा , अब से पुरे मन से पढाई करो।
अब राजू ने यह निश्चय कर लिया था की कुछ भी हो मुझे अब पढ़ना है और पढाई में अच्छा प्रदर्शन कर के अव्वल आना है।
राजू ने अपनी मेहनत चालू कर दी, उसने दिन-रात एक कर दिया, खूब मन लगाकर पढाई की, अपने दैनिक जीवन कार्यो ने निर्वत्त होकर वह पढाई में जुट जाता और कब दिन से रात हो जाती पता ही नहीं चलता।
इस तरह से पूरा साल बित गया और राजू ने अपनी परीक्षा दी, होना क्या था , सारे पेपर बहुत अच्छे गए। और अंततः परीक्षा परिणाम का दिन आया।
जब राजू ने अपना परिणाम देखा तो वह फुला न समाया क्योकि उसका नाम जिले की प्रावीण्य सूचि (मेरिट लिस्ट) में पहले नंबर पर था। यह देख कर राजू के माता पिता की आँखों से ख़ुशी के आंसू झलक उठे।
ऐसा पहली बार हुआ था की किसी छोटे गांव के एक लड़के का नाम जिले की प्रावीण्य सूचि में पहले नंबर पर
प्रतिभा सम्मान समारोह रखा गया। इस समारोह में राजू को श्रेष्ठ प्रदर्शन पर पुरुस्कृत किया जाना था। पुरूस्कार में मुख्य अतिथि (चीफ गेस्ट) के द्वारा राजू को कुछ धन राशि और मैडल दिया जाना था और क्या आप जानते है की मुख्य अतिथि कोन थे ?
मुख्य अतिथि वही दूकान के मालिक थे जिन्होंने राजू को यह कहकर काम नहीं दिया था की “तुम तो किसी काम के नहीं हो, मैं तुम्हे काम नहीं दे सकता हूँ” .
जब पुरुस्कार दिया गया तो दूकान के मालिक ने राजू को पहचान लिया और आश्चर्य चकित होकर बोलने लगे की तुम तो वही हो जो मेरी दूकान पर काम मांगने आये थे, लेकिन मैं बहुत प्रसन्न हूँ की तुमने ये श्रेष्ठ प्रदर्शन किया… मैं चाहता हूँ की तुम आगे भी इसी तरह मेहनत करके पढ़ते जाओ, आगे से तुम्हारी पूरी पढाई का खर्चा में वहन करूँगा।
इस बात को सुनकर राजू बहुत खुश हुआ। राजू ने अपनी पढाई ऐसे ही आगे जारी रखी।
आगे चलकर राजू उसी जिले का आईएएस अफसर यानि कलेक्टर बना जिस जिले की मेरिट लिस्ट में उसका नाम था। ये राजू की मेहनत, लगन और विश्वास का ही परिणाम था की वह इस मुकाम तक पंहुचा।
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