Hindi, asked by kaurraikhy, 5 hours ago

निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
किसी महान कार्य को करने के लिए निरंतर परिश्रम ही एकमात्र साधन है। यही वह शक्ति है, जिस पर भरोसा और विश्वास किया जा सकता है। (परिश्रमी व्यक्ति ही इस संसार के ऐश्वर्य को भोग सकते है। जो मनुष्य परिश्रम न करके भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं, वे सफलता नहीं पा सकते। ऐसे लोग भाग्य को विधाता मानकर परिश्रम की उपेक्षा करते हैं उससे मुँह मोड़ते है। उनके अनुसार मनुष्य भाग्य के हाथों का खिलौना होता है उनके जीवन में आलस्य और अँधेरा होता है। उनका कहना है कि भाग्य बड़ा बलवान होता है, उसी के कारण राजा हरिश्चंद्र को राज्य त्याग कर श्मशान में दासता भोगनी पड़ी और भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष तक वन-वन भटकना पड़ा। परंतु यह सत्य है कि भाग्य पर भरोसा करके परिश्रमी पतवार के सहारे ही जीवन नौका में बैठकर संसार-सागर के पार पहुँचा जा सकता है। जो आलसी होते हैं वे अपने आप को नितांत शक्तिहीन और असहाय समझते हैं। ये लोग हीन भावना से ग्रस्त होते हैं। परिश्रम को तिलांजलि देकर ये अपने भाग्य पर स्वयं ताला लगा देते हैं। दूसरी आर भाग्य या संयोग को कल्पना की वस्तु मानने वाले पराक्रमी व्यक्ति कठोर श्रम और संकल्प शक्ति को ही सफलता की कुंजी मानते हैं। भाग्य उन्हीं का साथ देता है, जो परिश्रमी, साहसी और दृढ़ निश्चयों होते हैं। ऐसे ही महापुरुष जीवन की विषम परिस्थितियों की चुनौती को आगे बढ़कर स्वीकार करते है और नियति को तुच्छ मानते हैं।
1. संसार के ऐश्वर्य को कौन भोग सकता है?
2.भाग्य का सहारा लेने वालों को सफलता क्यों नहीं मिलती?
3. भाग्य को विधाता मानने वाले किस प्रकार का व्यवहार करते हैं?
4.क्या उदाहरण देकर लोग भाग्य को बलवान मानते हैं?
5. भाग्य किसका साथ देता है?
6. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। ​

Answers

Answered by kavitasharma3955
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Answer:

1. संसार के ऐश्वर्य को परिश्रमी व्यक्ति ही भोग सकता है ।

2 भाग्य का सहारा लेने वाले भाग्य को विधाता मानकर परिश्रम की उपेक्षा करते हैं

3 वे लोग परिश्रम को महत्व न देकर उससे मुँह मोड़ते है।

4 उनका उदहारण है - “ भाग्य के कारण राजा हरिश्चंद्र को राज्य त्याग कर श्मशान में दासता भोगनी पड़ी और भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष तक वन-वन भटकना पड़ा ”

5 भाग्य उन्हीं का साथ देता है, जो परिश्रमी, साहसी और दृढ़ निश्चयों होते हैं।

6 परिश्रम ही सफलता का कारक है

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