निम्नलिखित गद्यांश का हिन्दी अनुवाद करिए।
(क) पुरावाल्मीकिः नाम एक ऋषि आसीत्। एकदा सः शिष्यैः सह स्नातुं
तमसा नद्या तीरम्
तीरम् अगच्छत। मार्ग सः व्याधेन विद्धम् एक
क्रौचंपक्षिणमपश्यतु। ( please my exam is going on please tell me the answer )
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हिन्दी अनुवाद – पहले वाल्मीकि नाम के एक ऋषि थे। एक दिन ये शिष्यों सहित स्नान करने के लिए तमसा नदी पर गए। रास्ते में इन्होंने शिकारी द्वारा बिंधा हुआ एक हंस देखा। साथी के वियोग में हंसिनी व्याकुल हो गई और वह जोर-जोर से रोने लगी। उसकी रुलाई सुनकर और दुख देखकर ऋषि का हृदय द्रवित (पिघल) हो गया। क्रौंची (हंसिनी) के विलाप से पैदा हुआ ऋषि का शोक श्लोक के रूप में इनके मुख से इस प्रकार निकल पड़ा हे निषाद! तुम्हें सत्य में निरन्तर कभी भी सम्मान और शान्ति प्राप्त न हो, क्योंकि तुमने क्रौंच के जोड़े में से काम से मोहित एक निर्दोष की हत्या की है।
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Answer:
र्सांत ऋतुके आते ही शीत की कठोरता िाती रही । पब्श्िम के पर्न ने र्ृक्षों के िीणव-शीणव पत्ते गगरा ददये ।
र्ृक्षों और िताओां में नये पत्ते और रांग-बिरांगे फूि ननकि आये। उनकी सुगब्न्ि से ददशाएँगमक उठ ां । सुनहिे
िािों सेयुक्त गेहूँके पौिे िेतों में हर्ा से झूमने िगे। प्राखणयों की नस-नस में उमांग की नयी िेतना छा गयी।
आम की मांिररयों से मीठ सुगन्ि आने िगी, कोयि कूकने िगी, फूिों पर भौरे मँडराने िगे और कलियाँ
खििने िगी । प्र-नत में सर्वत्र नर्िीर्न का सांिार हो उठा।
1.
उपयुवक्तददएगएगदयाांशकाशीर्वकिताइए।
2.
र्सांत ऋतुके आते ही क्या हो िाता है?
3.
र्सांत ऋतुके आगमन से प्राखणयों पर क्या प्रभार् पड़ा ?
4.
ददशाएँक्यों सुगब्न्ित हो उठ ां?