निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे दिए गए प्रश्नो के उतर दीजिये -
भारत के गगन पर क्रांति के बादल एकत्रित होने आरम्भ हो गए थे। स्वतंत्रता की प्रथम लड़ाई साल १८५७ के एक नेता नाना साहब भी उन लोगो में से थे जो दयानन्द का प्रवचन सुन्न कर उससे प्रेरित हुए।
क्रांति की लहर में अंग्रेज़ शासन की नीव हिलने लगी थी। इस बाहरी युद्ध के साथ-साथ लोगो के मन मस्तिक में एक अन्य प्रकार का युद्ध चल रहा था। यह बहार से दिखाई तो नहीं देता था मगर कम कटु ना था। यह युद्ध था अविवेक से विवेक का, सत्य का विश्वासघात से, एवं वेदो की शुचिता का पाखंडी धर्म के चंगुल से मुक्त कराने का।
यहाँ तक की इस्लाम, ईसाई और सिख धर्मो के ग्रन्थ ही दयानन्द सरस्वती के प्रज्ञा अछूते ना रहे। उनकी कुरान की व्याख्या ने इन धर्म के नेताओ को क्रोधित कर दिया था।
उन्होंने एक आर दयानन्द को नदी में फेकना का प्रयास किया लेकिन वर्षो के योगाभ्यास और अनुशासन के कारण उनका शरीर बड़ा शक्तिशाली था। इसका परिणाम ये हुआ की उन्होंने अपने हमलावरों को इस प्रकार जकड़ा की वे भी उनके साथ नदी में गिर पड़ें। हमलावरों को उन्होंने तब छोड़ा जब वे डूबने लगे थे लेकिन वे स्वयं पानी के भीतर पद्मासन लगाए बैठे रहे। ऐसी थी उनकी योग शक्ति।
१) भारतीय लोगो के मन-मस्तिष्क में किस प्रकार का युद्ध चल रहा था?
२) कौन लोग दयानन्द को नदी में फेकना चाहते थे और क्यों?
३) दयानन्द की योग शक्ति का कोई एक उदहारण दीजिये।
४)दयानन्द के व्यक्तित्व से तुम्हे क्या शिक्षा मिलती है?
५) उपर्युक्त गद्यांश का एक शीर्षक दीजिये?
६) निम्न शब्दों के पर्यायवाची लिखिए -
विश्वासघात
परिणाम
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Answer:
1) भारतीय लोगो के मन-मस्तिष्क में अन्य प्रकार का युद्ध चल रहा था।यह युद्ध था अविवेक से विवेक का, सत्य का विश्वासघात से, एवं वेदो की शुचिता का पाखंडी धर्म के चंगुल से मुक्त कराने का।
2) इस्लाम, ईसाई और सिख धर्मो के नेताओ ने दयानन्द को नदी में फेकना चाहते थे क्योंकि
3) जब वे डूबने लगे थे लेकिन वे स्वयं पानी के भीतर पद्मासन लगाए बैठे रहे। ऐसी थी उनकी योग शक्ति।
4) दयानन्द सरस्वती से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हमें शक्तिशाली और अनुनाशासित होना चाहिए.
5)दयानन्द सरस्वती
6) धोखा
नतीजा
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