Hindi, asked by ushadagar1681, 7 months ago

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - (5x1=5)
राहों पर खड़ा है, सदा से ठूँठ नहीं है। दिन थे जब वह हरा - भरा था और उस जनसंकुल चौराहे पर अपनी छतनार डालियों से बटोहियों की थकान अनजाने में दूर करता था। पर मैंने उसे सदा ठूँठ ही देखा है। पत्रहीन, शाखाहीन, निरवलंब, जैसे पृथ्वी रूपी आकाश से सहसा निकलकर अधर में ही टंग गया हो। रात में वह काले भूत - सा लगता है, दिन में उसकी
छाया इतनी गहरी नहीं हो पाती जितना काला उसका जिस्म है और अगर चितेरे को छायाचित्र बनाना हो तो शायद
उसका - सा ‘अभिप्राय’ और न मिलेगा। प्रचंड धूप में भी उसका सूखा शरीर उतनी ही गहरी छाया ज़मीन पर डालता जैसे रात की उजियारी चाँदनी में।
जब से होश संभाला है, जब से आँख खोली है, देखने का अभ्यास किया है, तब से बराबर मुझे उसका नीरस, अर्थहीन शरीर ही दिख पड़ा है। पर पिछली पीढ़ी के जानकार कहते हैं कि एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके सामने शरमाते थे और उसके पत्तों से, उसकी टहनियों और डालों से टकराती हवा की सरसराहट दूर तक सुनाई पड़ती थी। पर आज वह नीरव है, उस चौराहे का जवाब जिस पर उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों ओर की राहें मिलती हैं और जिनके सहारे जीवन अविरल बहता है। जिसने कभी जल को जीवन की संज्ञा दी, उसने निश्चय जाना होगा कि प्राणवान जीवन भी जल की ही भाँति विकल, अविरल बहता है। सो प्राणवान जीवन, मानव संस्कृति का उल्लास उपहार लिए उन चारों राहों की संधि पर मिलता था, जिसके एक कोण में उस प्रवाह से मिल एकांत शुष्क आज वह ठूँठ खड़ा है। उसके अभाग्यों परंपरा में संभवतः एक ही सुखद अपवाद है – उसके अंदर का स्नेह रस सूख जाने से संज्ञा का लोप हो जाना। संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की अनुभूति कम हो जाती है।

1. जनसंकुल का क्या आश्य है ?
2. आम की छतनार डालियों के कारण क्या होता था ?
3. शाखाहीन, रसहीन, शुष्क वृक्ष को क्या कहा जाता है ?
4. आम के वृक्ष के सामने पीपल और बरगद के शरमाने का क्या कारण था ?
5. ‘संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की अनुभूति कम हो जाती है इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए |

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Answered by Anonymous
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गद्यांश में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए है।

1. जन संकुल का आशय है भीड़भाड़

2. आम की छतनार डालियों के कारण राहगीरों तथा पाथिकों की थकान दूर होती थी।

3. शाखाहीन, रसहीन तथा शुष्क वृक्ष को ठूंठ कहा जाता है।

4. आम के वृक्ष के सामने पीपल तथा बरगद के पेड़ भी शरमा जाते थे क्योंकि आम का वृक्ष उनसे अधिक सघन तथा हरा - भरा था।

5. " संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की अनुभूति होती है" उस पंक्ति का आशय है - यदि स्नेह रस सुख जाता है तो संज्ञा लोप हो जाती है।

Answered by shivam644788
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Answer:

5 अऩने देळ के याष्ट्रीम खेर औय याष्ट्रीम नदी का नाभ लरणखए

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