निम्नलिखित गद्यांशों को पोपटा पूढे गए प्रकभ्नतों के उत्तर निखिए
. किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कट लगन, कार्य में अटूट बद्धा एवं अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास आवश्यक है। विश्वास, एकाग्रता, लगन संतुलन बया आदि सब साहस के ऊपर निर्भर हैं, क्योंकि मनुष्य का सबसे प्रथम गुण साहस है। साहस अन्य सब गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि तन सशक्त हो, मन सशक्त हो, वाणी सशक्त हो तो उनके द्वारा प्राप्त कार्य-शक्ति के आगे भाग्य स्वयं नतमस्तक हो जाता है। साहसी की प्रतिभा के सामने शोक तथा भय भाग जाते है। साहसी को संसार भी रास्ता देता है। मनुष्य में सब गुण हो, वह विद्वान हो, धनवान हो, शक्तिशाली हो, पर यदि उसमें साहस न हो तो वह अपने सद्गुणों का, अपनी योग्यताओं व अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकता। साहस मनुष्य के व्यक्तित्व का नायक है। साहस व्यक्ति को निर्भय बनाता है और जहाँ निर्भवता होती है वहाँ सफलता निश्चित है। निर्भयता से ही आत्मविश्वास जाग्रत होता है। आत्मविश्वास के अभाव में हम उस प्रत्येक कार्य को करते हुए डरेंगे जो हमने पहले नहीं किया और जो बिल्कुल नया है। जिनके संकल्प अधूरे होते हैं, जो संशयग्रस्त होते हैं, वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते और कुछ करते भी है तो उनमें असफल हो जाते हैं।
1.किसी भी कार्य की सफलता के लिए किन शक्तियों का होना आवश्यक है।
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किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कट लगन, कार्य में अटूट बद्धा एवं अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास आवश्यक है।
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