निम्नलिखित गद्यांश को पढ़ कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो ; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा । उस के चेहरे पर एक स्थाई विषाद स्थाई रूप से छाया रहता है । सुख - दुख हानि - लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा । ऋषिर्यो - मुनियों के जितने गुण हैं , वे सभी उस में हैं , पर आदमी उसे बेवकूप कहता है । सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा । कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है ।
प्रश्न- I - इस गद्यांश में किस का वर्णन है ?
II - " कुलेल करना " मुहावरे का क्या अर्थ है ?
lII- गधे में ऋषि - मुनियों जैसे गुण हैं इसका क्या अर्थ ?
IV- ' सद्गुण ' का विलोम शब्द क्या है ?
V- " विषाद ' का अर्थ लिखिए
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I- इस गद्यांश में किस का वर्णन है ?
➲ इस गद्यांश में गधे का वर्णन किया गया है।
II- "कुलेल करना" मुहावरे का क्या अर्थ है ?
➲ " कुलेल करना " मुहावरे का अर्थ है, खुश होकर खिलवाड़ करना।
lII- गधे में ऋषि - मुनियों जैसे गुण हैं इसका क्या अर्थ ?
➲ गधे में ऋषि-मुनियों जैसे गुण से तात्पर्य हैं, कि गधे ऋषि मुनियों की तरह सुख और दुख में समान भाव से जीने वाला प्राणी है।
IV- 'सद्गुण' का विलोम शब्द क्या है ?
➲ सद्गुण का विलोम होगा... अवगुण
V- ‘विषाद’ का अर्थ लिखिए
➲ विषाद का अर्थ होगा... दुख, उदासी।
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