निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर ऐसे 4 प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक एक वाक्य में हो। (४)
मनुष्य सुख के पीछे लगा रहता है। सुख पाने की खुश बनने की यह जीवनभर कोशिश करता रहता है। जीवन में आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद उसे सुख मिलता है। उत्सव के दिनों में भी उसे सुख मिलता है। जीवन में आवश्यकताओं का तांता लगा रहता है। एक की पूर्ति के बाद दूसरी सामने आती है। इसलिए पूर्ति के बाद मिलनेवाला सुख अधिक समय तक नहीं रहता।
उत्सव में हम किसी आवश्यकता का अनुभव नहीं करते। हम सारे काम-काज छोड़ बैठते हैं। खुशियाँ मनाते है । मेहमानों से मिलते हैं। खाते हैं। खिलाते हैं। अपनी चिंताएँ भूल जाते हैं। केवल अपने मनुष्यपन को ख्याल में रखते हैं। स्वार्थ को मन में नहीं लाते दो दिनों के लिए एक अलग दुनिया बसाते है और उसी में खो जाते हैं। बिना कारण घूमते है । व्यर्थ में खर्च करते हैं। फिर भी हं खुश रहते हैं। ये दिन हमें सांसारिक बंधन और चिंताओं से दूर खुशी की दुनिया में लो जाते
हैं। उत्सव का सुख टॉनिक जैसा है।
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Answer:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर ऐसे 4 प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक एक वाक्य में हो। (४)
मनुष्य सुख के पीछे लगा रहता है। सुख पाने की खुश बनने की यह जीवनभर कोशिश करता रहता है। जीवन में आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद उसे सुख मिलता है। उत्सव के दिनों में भी उसे सुख मिलता है। जीवन में आवश्यकताओं का तांता लगा रहता है। एक की पूर्ति के बाद दूसरी सामने आती है। इसलिए पूर्ति के बाद मिलनेवाला सुख अधिक समय तक नहीं रहता।
उत्सव में हम किसी आवश्यकता का अनुभव नहीं करते। हम सारे काम-काज छोड़ बैठते हैं। खुशियाँ मनाते है । मेहमानों से मिलते हैं। खाते हैं। खिलाते हैं। अपनी चिंताएँ भूल जाते हैं। केवल अपने मनुष्यपन को ख्याल में रखते हैं। स्वार्थ को मन में नहीं लाते दो दिनों के लिए एक अलग दुनिया बसाते है और उसी में खो जाते हैं। बिना कारण घूमते है । व्यर्थ में खर्च करते हैं। फिर भी हं खुश रहते हैं। ये दिन हमें सांसारिक बंधन और चिंताओं से दूर खुशी की दुनिया में लो जाते
हैं। उत्सव का सुख टॉनिक जैसा है।
Explanation:
मनुष्य किसके पीछे लगा रहता है