Hindi, asked by majesticm, 4 months ago

निम्नलिखित गद्याश को पढ़कर नीचे लिखे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
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राष्ट्रपिता महात्मा गाधी अपने सत्य, अहिंसा, कर्मनिष्ठा आदि गुणों के कारण हमेशा
याद किए जाएंगे। गाँधी जी अपना काम अपने हाथों से करने पर बल देते थे। वे प्रत्येक
आश्रमवासी से आशा करते थे कि वे सभी अपने से संबंधित साफ-सफाई आदि का काम
स्वय करे। उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करते वे पाप करते है और पाप का अन्न
खाते है। गाँधीजी का समस्त जीवन-दर्शन श्रम-सापेक्ष था। उनके जीवन का अर्थशास्त्र भी
यही बताता है कि प्रत्येक उपभोक्ता को उत्पादनकर्ता होना चाहिए। एनकी नीतियों की उपेक्षा
करने के परिणाम हम आज भी भोग रहे है। आज देश सेन गरीबी कम होती है न बेरोजगारी
पर नियंत्रण हो पा रहा है। अपराधी प्रवृत्तियाँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। दक्षिण
कोरियावासियों ने श्रमदान करके ऐसे भवनों का निर्माण किया जिनसे किसी को भी ईष्या हो
प्रश्न (क) गाँधीजी आश्रमवासियों से किस बात की अपेक्षा करते थे?
47) अपना काम स्वयं करने की
(2) उत्पादन करने की
(3) आश्रम की साफ-सफाई करने की (4) साधु बनने की।
गरीबी-बेरोजगारी आदि किस कारण बढ़ती है?
(1) ईष्या करने से
12) परिश्रम न करने से
(3) अशिक्षित होने से
(4) परिश्रम करने के कारण।
गाँधीजी के अनुसार पाप का अन्न खाने वाले कौन है ?
(1) चोरी डकैती करने वाले
(2) उपभोक्ता वर्ग
(3) उत्पादन करने वाले
4) जो श्रम नहीं करते।
(घ) दक्षिण कोरियावासियों ने श्रमदान करके किनका निर्माण किया?
(1) सड़कों का
42) भवनों का
(3) पार्को का
(4) मंदिरों का
इस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है
गाँधीजी के श्रम सबधी विचार (2) श्रमिकों का जीवन
13) श्रमदान का महत्व
(4) श्रम की गरिमा
पढकर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प छोटकर​

Answers

Answered by aliyasundke
0

please follow me ple

Answered by krishanmajra1994
3

Answer:

क) गांधी जी आश्रम के सभी लोगों से आशा करते थे कि मैं अपना सारा काम स्वयं करें ।उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करते ,वे पाप करते है और पाप का अन्न खाते है।

उत्तर -अपना काम स्वयं करने की ।

ख) उत्तर - परिश्रम न करने से ।

ग) उत्तर -जो श्रम नहीं करते ।

घ) उत्तर -भवनों का ।

ड़) उत्तर- गांधीजी के श्रम संबंधी विचार ।

आशा है यह उत्तर आपकी मदद करेगा ।

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