निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए । 5x एक जमाना था जब मुहल्लेदारी पारिवारिक आत्मीयता से भरी होती थी । सब मिल - जुलकर रहते 1 थे । हारी - बीमारी , खुशी - गम सब में लोग एक - दूसरे के साथ थे । किसी का किसी से कुछ छिपा नहीं था । आज के लोगों को शायद लगे कि उन लोगों की अपनी प्राइवेसी क्या रही होगी , लेकिन इस प्राइवेसी के नाम पर ही तो हम लोग एक दूसरे से कटते रहे और कटते - कटते ऐसे अलग हुए कि अकेले पड़ गए । पहले अलग चुल्हे - चौके हुए . फिर अलग - अलग मकान लेकर लोग रहने लगे , निजी स्वतंत्रता को अपनी नई परिभाषा देकर यह एकाकीपन हमने स्वयं अपनाया है । मुहल्ले में आपस में चाहे जितनी चखचख हो , यह थोड़े ही संभव था कि बाहर का कोई आकर किसी को कड़वी बात कह जाए । पूरा मोहल्ला टिड्डी - दल की तरह उमड़ पड़ता था । देखते - देखते जमाना हवा हो गया । मुहल्लेदारी टूटने लगी , आबादी बढ़ी , मैंहगाई बढ़ी , पर सबसे ज्यादा जो चीज दुर्लभ हो गई वह थी आपसी लगाव , अपनापन । लोगों की आँखों का शील मर गया । देखते - देखते कैसा रंग बदला है । लोग अपने आप में सिमटकर पैसे के पीछे भागे जा रहे हैं । सारे नाते - रि तों को उन्होंने ताक पर रख दिया है , तब फिर पड़ोसी से उन्हें क्या लेना - देना है । यह नीरस महानगरीय सभ्यता महानगरों से चलकर करबों और देहातों तक को अपनी चपेट में ले चुकी है । मकानों में रहने वाले एक - दूसरे को नहीं जानते । इन जगहों में आदमी का अस्तित्व समाप्त हो गया है । यदि आपको फ्लैट नंबर मालूम नहीं है तो उसी बिल्डिंग में जाकर भी वांछित व्यक्ति को नहीं ढूँढ पाएँगे ऐसी जगहों में किसी प्रकार के सम्बन्धों की अपेक्षा ही कहा की जा सकती है ।
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i don't know the answer sorry for that
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