Hindi, asked by mahabir837, 1 year ago

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (2x5=10)
'हम कर्म से ही महान बन सकते हैं, हमारे लिए परित्याग या पलायन करना किसी भी तरह से
मुमकिन नहीं है।' यह कहना है रवींद्रनाथ टैगोर का, उनका मानना था कि काम हमेशा मेहनत के साथ करो
और फल की इच्छा मत करो, जो फल की इच्छा रखते हैं, वे अपने काम में पूरी तरह से मन नहीं लगा पाते
और जो निरंतर काम करते हैं, उनको सफलता मिलते देर नहीं लगती, यानी कहा जाए तो मेहनत से
किशोर-किशोरियों को कभी भी बचना नहीं चाहिए, जो मेहनत करना नहीं चाहते और जिनको करा-कराया
काम पसंद है, वे आलसी और कामचोर होते हैं। एसे लोग हमेशा पाना चाहते हैं, कुछ देना नहीं। पूरी दुनिया
ही मेहनत के बल पर टिकी है, वरना तो देश का विकास संभव हो ही न पाए। प्राचीन समय में भी भगवान
श्रीकृष्ण ने गीता में उपदेश देते हुए अर्जुन को समझाया कि मनुष्य का अधिकार केवल 'कर्म' में है, फल में
नहीं।
मुंशी प्रेमचंद ने भी कहा है - 'आलस्य वह राजयोग है, जिसका रोगी कभी नहीं संभलता।'
तो आलस्य छोड़ कर परिश्रम करने के लिए उठ खड़े हों।
(क) हम महान् कैसे बन सकते हैं?
(ख) किशोर-किशोरियों के प्रति 'टैगोर जी' के विचारों को समझाइए।
(ग) आलसी और कामचोर कौन होते हैं?
(घ) गीता में क्या कहा गया है?
(ङ) प्रेमचंद क कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by pranjalkushwaha297
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(क) हम महान् कैसे बन सकते हैं?

'हम कर्म से ही महान बन सकते हैं

(ख) किशोर-किशोरियों के प्रति 'टैगोर जी' के विचारों को समझाइए।

यह कहना है रवींद्रनाथ टैगोर का, उनका मानना था कि काम हमेशा मेहनत के साथ करो

और फल की इच्छा मत करो, जो फल की इच्छा रखते हैं, वे अपने काम में पूरी तरह से मन नहीं लगा पाते

और जो निरंतर काम करते हैं, उनको सफलता मिलते देर नहीं लगती, यानी कहा जाए तो मेहनत से

किशोर-किशोरियों को कभी भी बचना नहीं चाहिए, जो मेहनत करना नहीं चाहते और जिनको करा-कराया

(ग) आलसी और कामचोर कौन होते हैं?

किशोर-किशोरियों को कभी भी बचना नहीं चाहिए, जो मेहनत करना नहीं चाहते और जिनको करा-कराया

काम पसंद है, वे आलसी और कामचोर होते हैं। एसे लोग हमेशा पाना चाहते हैं, कुछ देना नहीं।

(घ) गीता में क्या कहा गया है?

श्रीमद्भागवत गीता भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली है भला कोई अहंकारी या कोई अल्पबुद्धि व्यक्ति ही होगा जो उनके कथन पर शंका व्यक्त करे, अगर मैं स्वयं की बात करूं तो जन्म हुआ है तबसे लेकर आजतक शारीरिक या मानसिक कुछ भी एक जैसा नहीं है सब कुछ बदल गया है , सतत परिवर्तन संसार का नियम है , इस ब्रह्मांड में नष्ट कुछ नहीं .

last que i dont know bro

please mark me as brainliest ans

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