निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनो के सहीउत्तर चुनकर लिखिए- ( 5 अंक ) परंपरागत अर्थो में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रत : ऐसा नहीं कहा जा सकता ।इस सृषिट में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है . वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है।बड़े बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किंतु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य सत्ता द्वारा हो रहा है।उस अदृश्य सत्ताको ब्रह्मया परमात्मा भी कहा जा सकता है।उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधकबेचैन हो उठे । जब एक बार सत्ता का ज्ञान का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहा ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधनों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया है , किंतु इसमें कठिनाई यह है कि | जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं.उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर | पाना संभव नहीं है।सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि , वह बुद्धि , तर्क और विवेक से परे हैं।उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता।हदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परन्तु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है।उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है किंतु उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है । प्रश्न : - ( क ) रहस्यवाद क्या है ? 1. आत्मा और परमात्मा के रहस्य से जुड़ा हुआ 2. आत्मा और परमात्मा से संबंधित काव्य 3. आत्मा और परमात्मा जगत की विवेचना 4. आत्मा और परमात्मा जगत से परे काव्य ( ख ) दीर्घकाल तक विचार करने के बाद मनीषियों को क्या अनुभव हुआ ? 1. यह संसार अपने - आपसंचालित है । 2. यह संसार किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित है । 3. यह संसार अदृश्य शक्ति से संचालित है । + . यह संसार मनुष्य की विशिष्ट शक्ति से संचालित है । ( ग अदृश्य सत्ता से मिलने के लिए साधक बेचैन क्यों है 1. वे उस अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागत हो गए हैं । 2. वे उस अज्ञात सत्ता के वश में हो गए हैं । 3. वह अदृश्य सत्ता उन पर हावी हो गई है । + वे उस अदृश्य और अज्ञात सत्ता के बिना जी नहीं सकते । ( घ ) ब्रह्म का वर्णन करने में कठिनाई क्या है । 1. वह बुद्धि और तर्क से परे है । 2. उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता । 3. उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता है 4. उपरोक्त सभी । ( छ ) विवेक शब्द का अर्थ छाँटिए । 1. सब कुछ पता होना 2. किसी को निर्णय देना 5. सही - गलत का निर्णय न ते पाना 4. सही - गलत का निर्णय कर सकने की क्षमता
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समय' निरंतर बीतता रहता है, कभी किसी के लिए नहीं ठहरता। जो व्यक्ति समय के मोल को पहचानता है, वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। समय बीत जाने पर किए गए कार्य का कोई फल प्राप्त नहीं होता और पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं आता। जो विद्यार्थी सुबह समय पर उठता है, अपने दैनिक कार्य समय पर करता है तथा समय पर सोता है, वही आगे चलकर सफल व उन्नत व्यक्ति बन पाता है। जो व्यक्ति आलस में आकर समय गँवा देता है, उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। संतकवि कबीरदास जी ने भी अपने दोहे में कहा है -
''काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।सम्बद्ध होते है। वाक्य छोटे तथा एक दुसरे से जुड़े होते हैं।
(4) अनुच्छेद एक स्वतन्त्र और पूर्ण रचना है, जिसका कोई भी वाक्य अनावश्यक नहीं होता।
(5) उच्च कोटि के अनुच्छेद-लेखन में विचारों को इस क्रम में रखा जाता है कि उनका आरम्भ, मध्य और अन्त आसानी से व्यक्त हो जाए और किसी को भी समझने में कोई परेशानी न हो।
(6) अनुच्छेद सामान्यतः छोटा होता है, किन्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयवस्तु पर निर्भर करता है। लेखन के संकेत बिंदु के आधार पर विषय का क्रम तैयार करना चाहिए।
(7) अनुच्छेद की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
बात को बार-बार दोहराने से आप अपने अनुच्छेद को दिए गए सिमित शब्दों में पूरा नहीं कर पाएँगे और अपने सन्देश को लोगों तक नहीं पहुँचा पाएँगे।भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए। ताकि समीक्षक या पढ़ने वाला आपके अनुच्छेद से प्रभावित हो सके।
ऐसा इसलिए करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि अनुच्छेद में शब्द सिमित होते हैं और हमें अनुच्छेद संक्षेप में लिखना होता है।)
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनो के सहीउत्तर चुनकर लिखिए- ( 5 अंक )
परंपरागत अर्थो में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रत : ऐसा नहीं कहा जा सकता ।इस सृषिट में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है . वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है।बड़े बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किंतु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य सत्ता द्वारा हो रहा है।उस अदृश्य सत्ताको ब्रह्मया परमात्मा भी कहा जा सकता है।उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधकबेचैन हो उठे । जब एक बार सत्ता का ज्ञान का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहा ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधनों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया है , किंतु इसमें कठिनाई यह है कि | जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं.उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर | पाना संभव नहीं है।सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि , वह बुद्धि , तर्क और विवेक से परे हैं।उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता।हदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परन्तु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है।उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है किंतु उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है ।
Answer:
प्रश्न : -
( क ) रहस्यवाद क्या है ?
1. आत्मा और परमात्मा के रहस्य से जुड़ा हुआ
2. आत्मा और परमात्मा से संबंधित काव्य
3. आत्मा और परमात्मा जगत की विवेचना
4. आत्मा और परमात्मा जगत से परे काव्य
( ख ) दीर्घकाल तक विचार करने के बाद मनीषियों को क्या अनुभव हुआ ?
1. यह संसार अपने - आपसंचालित है ।
2. यह संसार किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित है ।
3. यह संसार अदृश्य शक्ति से संचालित है ।
4. यह संसार मनुष्य की विशिष्ट शक्ति से संचालित है ।
( ग ) अदृश्य सत्ता से मिलने के लिए साधक बेचैन क्यों है ?
1. वे उस अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागत हो गए हैं ।
2. वे उस अज्ञात सत्ता के वश में हो गए हैं ।
3. वह अदृश्य सत्ता उन पर हावी हो गई है ।
4. वे उस अदृश्य और अज्ञात सत्ता के बिना जी नहीं सकते ।
( घ ) ब्रह्म का वर्णन करने में कठिनाई क्या है ।
1. वह बुद्धि और तर्क से परे है ।
2. उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता ।
3. उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता है ।
4. उपरोक्त सभी ।
( छ ) विवेक शब्द का अर्थ छाँटिए ।
1. सब कुछ पता होना
2. किसी को निर्णय देना
3. सही - गलत का निर्णय न ते पाना
4. सही - गलत का निर्णय कर सकने की क्षमता
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